सुख सागर अध्याय ३ [स्कंध९] बलराम और माता रेवती का विवाह प्रसंग ( तनय शर्याति का वंशकीर्तन)
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
धर्म कथाएं
Bhagwad puran
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
नवीन सुख सागर
श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ३ [स्कंध९]
बलराम और माता रेवती का विवाह प्रसंग
तीसरा अध्याय ( तनय शर्याति का वंशकीर्तन)
दो-अब तृतीय अध्याय में वंश कह्यौ शर्यात।
भई सुकन्या रेवती जो जग में विख्यात ।।
श्रीशुकदेवजी बोले- मनु के शर्याति ब्रह्मष्ठि पुत्र हुआ जिसने अंगिराओं के यज्ञ के द्वितीय दिवस का कर्तव्य कर्म सुनाया था ।
यह सुकन्या परम क्रोधी च्यवन ऋषि को पाकर तन मन से उनकी इच्छा के अनुकूल सेवा करने लगी। एक दिन अश्वनीकुमार उस आश्रम में आये और उनका बहुत मान सत्कार कर च्यवन ऋषि ने कहा----
" मुझको युवा कर दो आपको यज्ञ में जो सोमपान का भाग नहीं मिलता है उसके लिये में यत्न करूंगा, आप मेरी अवस्था और रूप ऐसा कर दो कि स्त्रियां मझ पर रीझने लगे।"यह सुन उन भिषरवरों ने कहा- ऐसा हो होगा, आप इस सिद्ध सरोवर में स्थान कीजिये।यह कह कर उन्होने उस वृद्धावस्था से ग्रसी हुई देह को, जिसमें नसें चमक रहीं थीं, बाल सफेद हो रहे थे सरोवर में प्रवष्टि करदी। पश्चात उस सरोवर में से रूप और अवस्था में समान तीन पुरुष निकले जो सुन्दर वस्त्र कमल की माला और कानों में कुण्डल पहने हुए थे। इनको देखकर स्त्रियां मोहित हो जाती थीं। उन तीनों को सूर्य के समान प्रकाशित समान रूपवान देखकर सुकन्या न पहचान सकी कि उनमें मेरा पति कौन सा है। इस हेतु से अश्विनी से प्रार्थना करने लगी। तब उसके पतिव्रत धर्म से प्रसन्न हो उन्होंने इसका पति उसे बता दिया और आप ऋषि से विदा हो विमान पर बैठ स्वर्ग को गये ।इसी अवसर में यज्ञ करने की इच्छा से शर्याति च्यवन ऋषि के आश्रम में आया और अपनी बेटी के पास सूर्य की कान्ति के समान पुरुष को बैठा हुआ देखा। बेटी ने झुककर प्रणाम किया परन्तु वह अप्रसन्न हो बिना आशीर्वाद दिये ही उससे बोला- यह तैने क्या किया ? तू मुनि का तिरस्कार कर जार पुरुष का सेवन करती है ? हे सत्कुल-संभवे ! तेरी मति अन्यथा कैसे होगई ? अरी, तेरी यह बात कुल को कलङ्क लगाने वाली हैं। पुत्री बोली- हे तात ! ये आपके जामाता भृगुनन्दन ही हैं। जिस तरह उनको यह रूप और अवस्था मिली थी वह सब पिता से कह दिया। पिता भी अत्यन्त विस्मित प्रसन्नता पूर्वक अपनी बेटी को हृदय से लगाया। तदनन्तर च्यवतभार्गव ने उस राजा से सोमयज्ञ करा कर यज्ञभाग रहित अश्विनीकुमारों को अपने तेज से सोपान कराया। इस पर इन्द्र ने क्रोधकर उस ऋषि को मारने के लिये हाथ में बज्र उठाया। तब च्यवन ने इन्द्र को बज्र सहित भुजा को वहां ही स्तम्मित कर दिया। तब इन्द्र को भुजा छूटने के निमित से जो अश्विनीकुमार वैद्य होने के कारण सोम की आहुति से बाहर निकाल दिये गये थे, उन्हीं को अब देवगण सोमपान का पात्र समझने लगे।
नरसिंह भगवान का अंतर्ध्यान होना।। मय दानव की कहानी।।
सनातन धर्म तथा सभी वर्ण आश्रमों का नारद मुनि द्वारा सम्पूर्ण वखान।।
महा भक्त प्रह्लाद की कथा।। भाग १
हिरण्यकश्यपु का नरसिंह द्वारा विनाश।। महभक्त प्रह्लाद की कथा भाग ४
प्रह्लाद द्वारा भगवान का स्तवन। महाभक्त प्रह्लाद की कथा भाग ५।।
There is the story of Balarama's wife Revati mentioned in the Mahabharata. (Time travel incident during Mahabharata yug)
108 मनके की माला से ही क्यों करना चाहिए??
विश्व बैंक के अनुसार २०१८ ई⋅ में विश्व की “कुल सेना” थी २७६.४२.२९५ की ।
एक महत्वपूर्ण उपकरण थी नारायणी सेना।
हिन्दु एकता में सोशल नेटवर्क भी सहायक।
गर्भ से पिता को टोकने वाले अष्टावक्र ।।अष्टावक्र, महान विद्वान।।
महाकाल के नाम पर कई होटल, उनके संचालक मुस्लिम
क्या थे श्री कृष्ण के उत्तर! जब भीष्मपितामह ने राम और कृष्ण के अवतारों की तुलना की?A must read phrase from MAHABHARATA.
श्री कृष्ण के वस्त्रावतार का रहस्य।।
Most of the hindus are confused about which God to be worshipped. Find answer to your doubts.
हम किसी भी व्यक्ति का नाम विभीषण क्यों नहीं रखते ?
How do I balance between life and bhakti?
मंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं?
Comments
Post a Comment