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श्रीमद भागवद पुराण सातवां अध्याय [स्कंध ६] ( विश्वरूप का देवताओं का प्रोहित होना )

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विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ नवीन सुख सागर  श्रीमद भागवद पुराण सातवां अध्याय [स्कंध ६] ( विश्वरूप का देवताओं का प्रोहित होना ) बृृहस्पतिवार की कथा दो०-गुरु बृहस्पति ने तजे, देव सकल दुख पाय। विश्वरूप प्रोहित भये, कहीं कथा समझाय॥ जब श्री शुकदेव जी यह बात कही तो परीक्षत ने कहा- हे विद्वान ! वृहस्पति जी ने देवताओं का परित्याग क्यों किया और किस कारण देवताओं ने विश्वरूप को अपना प्रोहित बनाया सो यह सब प्रसंग आप मुझे सुनाइये। श्री शुकदेव जो बोले हे राजा परीक्षत ! एक बार देवराज इन्द्र अपनी सभा में बैठा था। वह उस समय उसे ऐश्वर्य का भारी मद था। तभी देवताओं के गुरू वृहस्पति जी उस सभा में आये। तो इन्द्र ने ऐश्वर्ष के मद में गुरू वृहस्पति जी का कोई आदर सत्कार नहीं किया । यहाँ तक कि वह अपने आसन से भी नहीं उठा । यो कहिए कि उस