अदिति के गर्भ से भगवान का जन्म।। वामन अवतार भाग 2(बलि के यज्ञ में भगवान का आगमन)
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
- ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
- ॐ विष्णवे नम:
- ॐ हूं विष्णवे नम:
- ॐ आं संकर्षणाय नम:
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
- ॐ नारायणाय नम:
- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
धर्म कथाएं
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
नवीन सुख सागर
श्रीमद भागवद पुराण* अठारहवाँ अध्याय *[स्कंध ८] सुख सागर अध्याय 18 स्कंध 8 अदिति के गर्भ से भगवान का जन्म वामन अवतार भाग 2(बलि के यज्ञ में भगवान का आगमन)विजया द्वादशी
दोहा-अठारहवें अध्याय में प्रकटे वामन आय।
दैत्य भूप बयि के यहां यांच्यो वर हर्षाये ||
श्री शुकदेव जी बोले-हे राजन! ब्रम्हाजी के स्तुति करने पर अदिति से प्रकट हुए। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में एकदशी के दिन श्रावण नक्षत्र और अभिजित मुहुर्त से ठीक मध्यान्ह के समय भगवान का अवतार हुआ। जिस द्वादशी के दिन भगवान वामन जी का अवतार हुआ था उसका नाम विजया द्वादशी पड़ गया। अदिति अपने गर्भ से भगवान को उत्पन्न हुआ देख बड़ी प्रसन्न हुई और कश्यप जी भी अपनी योगमाया से जन्म लिये भगवान देख कर जय-जये करने लगे।
चैतन्य स्वरूप भगवान शस्त्र आभूषणादि धारण किये हुए जिस रूप से प्रगट हुए थे सो माता पिता के देखते-देखते उस स्वरूप को बदल वामन रूप हो गये। उस वामन रूप को देखकर सब महर्षिगण प्रसन्नता से कश्यप को आगे कर जाति कर्मादि संस्कार कराने लगे। यज्ञोपवीत के समय सूर्य ने गायत्री का उपदेश किया। वृहस्पति ने यज्ञोपवीत और कश्यप ने मेखला दी, भूमि ने मृगचर्म, वनपति चन्द्रमा ने दण्ड, माता ने कोपीन वस्त्र और स्वर्ग ने भगवान को छत्र दिया।
ब्रह्मा ने कमण्डलु, सप्तऋषियों ने कुशा, सरस्वती ने रुद्राक्ष की माला दी। इसी प्रकार यज्ञोपवीत होने पर कुबेर ने भिक्षापात्र और भगवती उमा ने भिक्षा दी। इसी प्रकार बाल ब्रह्म बारी वामनजी ब्रह्मतेज ये युक्त हो ब्रह्मऋषियों की सभा में अतीव शोभायमान हुए। तदनन्तर वामनजी ने सुना कि राजा बलि को बहुत से अश्वमेध यज्ञ कराये हैं उनके प्रभाव से राजा बलि का बड़ा उत्कर्ष हुआ है इससे सम्पूर्ण बलों से युक्त हो वामनजी बलि की यज्ञशाला में पधारे। यह यज्ञ नर्मदा के उत्तर तट पर भृगुकच्छ नामक तीर्थ पर हो रहा था, वहाँ यज्ञ कराने वाले शुक्राचार्यादि सब ऋषि वामनजी को देखकर तर्क वितर्क करने लगे कि यह सूर्य का सा प्रकाश क्या चला जाता है ? इतने ही में वामनजी दण्ड, छत्र, जल से पूरित कमण्डलु लिये यज्ञशाला में आ ही पहुँचे । जटाधारी मायारूपी भगवान ब्रह्मचारी को आते हुए देख उनके तेज से श्रीहित हो अग्नि और शिष्यों सहित भृगुजी ने उनको अभ्युत्थान दिया। राजा बलि ने उनका स्वागत कर चरणों को धोकर वामनजी की उस दर्शनीय मति का पूजन किया। फिर बलि बोला---
नरसिंह भगवान का अंतर्ध्यान होना।। मय दानव की कहानी।।
सनातन धर्म तथा सभी वर्ण आश्रमों का नारद मुनि द्वारा सम्पूर्ण वखान।।
हे ब्रह्मन् ! आपके आने से बड़ा आनन्द हुआ, ऐसा मालूम होता है कि आप साक्षात् ब्रह्म ऋषियों के तप की मूर्ति हैं। आज हमारे पितृगण तृप्त हो गये, आज हमारा कुल पवित्र हो गया, आपके पधारने से आज हमारा यज्ञ भी सफल हो गया है। तथा आपके छोटे छोटे चरणों से यह पृथ्वी भी पवित्र हो गयी। हे बटो। आप किसी याचना के लिये यहां आये हैं तो आपकी इच्छा हो सो मांगिये यदि आप कहें तो किसी ब्राह्मण की छोटी सी कन्या से आपका विवाह करा दूं।
एक महत्वपूर्ण उपकरण थी नारायणी सेना।
हिन्दु एकता में सोशल नेटवर्क भी सहायक।
गर्भ से पिता को टोकने वाले अष्टावक्र ।।अष्टावक्र, महान विद्वान।।
महाकाल के नाम पर कई होटल, उनके संचालक मुस्लिम
क्या थे श्री कृष्ण के उत्तर! जब भीष्मपितामह ने राम और कृष्ण के अवतारों की तुलना की?A must read phrase from MAHABHARATA.
।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम अध्याय समाप्तम🥀।।
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_人人人人人人_अध्याय समाप्त_人人人人人人_
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श्रीमद भागवद पुराण वेद व्यास जी द्वारा रचित एक मुख्य ग्रंथ है। एक बार सुनने या पढ़ने से किसी भी ग्रंथ का सार अंतकरण में बैठना सम्भव नहीं। किंतु निरंतर कथाओं का सार ग्रहण करने से निश्चय ही कृष्ण भक्ति की प्राप्ति होती है। इसीलिए धर्म ग्रंथों का निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए।
Preserving the most prestigious, सब वेदों का सार, प्रभू विष्णु के भिन्न अवतार...... Shrimad Bhagwad Mahapuran 🕉
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