कैसे करता है श्री हरि का नाम पापों का उधार। श्रीमद भागवद पुराण॥
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण दूसरा अध्याय [स्कंध६] (विष्णु पार्षद कथन) दोहा० या दूजे अध्याय में, कहीं कथा सुख सार। नारायण को नाम ले, भयौ अनामिल पार॥ शुकदेव जी बोले-हे राजा परीक्षत ! यमदूतों की बातें सुन कर वे विष्णु पार्षद विस्मय कर बोले- अहो ! यह बड़े आश्चर्य की बात है कि धर्म के रक्षकों की सभा में भी अधर्म का स्पर्श होता है। जो कि दंड न देने योग्य को पुरुष भी दंड दिया जाता है। हे यमदूतो ! इस अजामिल ने पराधीन होकर भी अपने करोड़ों जन्म के पापों का प्रायश्चित कर चुका है। क्यों इसने प्रति दिन नारायण नाम का उच्चारण किया है। अंत में भी इसने यही उच्चारण किया है, कि नारायण आओ मुझे बचाओ। सो नारायण का नाम लेने से ही इस पापी के समस्त पापों का प्रायश्चित हो चुका है। यह बात सब जानते हैं कि सब पापीजनों को भगवान का नाम उच्चारण क