जय विजय के तीन जनम एवं मोक्ष प्राप्ति।
छटवाँ स्कंध समाप्त एवं सातवाँ स्कंध प्रारंभ।। जय विजय के तीन जनम एवं मोक्ष प्राप्ति। श्रीमद भगवद पुराण प्रथम अध्याय-सातवां स्कन्ध प्रारम्भ दो०-कुल पन्द्रह अध्याय हैं, या सप्तम स्कंध । वर्णन श्री शुकदेवजी उत्तम सकल निबन्ध ।। हिरण्यकश्यप के वंश की, हाल कहूँ समय । या पहले अध्याय में, दीयो बन्श बताय।॥ श्री शुकदेव जी बोले-हे परीक्षित ! भगवान अजन्मा है, सब प्रपंच महाभूतों से रहित है। परंतु समय के अनुसार (रजोगुण, सतोगुण, तमोगुण,) यह घटते बढ़ते रहते हैं । सत्वगुण के समय में देवता और ऋषियों की वृद्धि होती है। रजोगुण के समय में असुरों की वृद्धि होती है। तमोगुण के समय में यक्ष राक्षसों की वृद्धि होती है। अतः जैसी परिस्थिति होती है उसी के अनुरूप भगवान हो जाता है। यही प्रश्न एक बार पहिले राजा युधिष्ठिर ने नारद जी से किया था। सो उन्होंने एक इतिहास सुनाया था वही मैं तुम्हें सुनाता हूँ। अपने राजसूय यज्ञ में शिशु पाल की मूर्ति देखकर युधिष्ठिर ने आश्चर्य से पूछा था। नारद ने सुनाथा था कि ---हे युधिष्ठिर ! शिशुपाल और दंतवक्र दोनों ही विष्णु भगवान के श्रेष्ठ पार्षदों में से थे, जो कि सन