श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ग्यारहवाँ स्कंध ८ ( देवासुर की समर-समप्ति) देवासुर संग्राम
नवीन सुख सागर
श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ग्यारहवाँ स्कंध ८ ( देवासुर की समर-समप्ति) देवासुर संग्राम
दोहा- अब ग्यारह में कही, दैत्यों का संहार।
भृगु नारद मेक्यो तभी कीन जीब संचार।।
पृथ्वी और अन्य सभी पाताल लोकों का विधिवत वर्णन। गृहण क्या है?
(पाताल स्थित नरक का वर्णन ) Where does the soul goes in between reincarnations?
विष्णु भगवान का सर्वदेवमय स्वरूप।। श्रीमद भागवद पुराण अध्याय २३ [स्कंध ५]
श्रीशुकदेवजी बोले--
भगवान की कृपा से इन्द्र और पवनादि सब देवताओं को उस माया के नाश होने से जब होश आया, तब उन्होंने अनेक दैत्यों को युद्ध में मार डाला।
पैनी धार वाले इस शतपर्व बज्र से मैं अब तुझ दुष्ट मायावी का शिरश्छेदन करूंगा।
राजा बलि बोले-" जो काल प्रेरित कर्मों के अधीन होकर संग्राम में आते हैं उनकी कीर्ति हार जीत व मृत्यु कर्म से होती ही रहती है। इससे पण्डित लोग इस जगत को काल से बँधा हुआ मानते हैं, इससे सुख दुःख होने न से वे प्रसन्न होते हैं, न सोच करते हैं इस विषय में तुम निरे अज्ञानी हो। आप ही जय पराजय में अपने तई साधन मानते हो इसलिये हम आपकी भेरी और साधुजनों से सच करने लायक बातों का बुरा नहीं मानते हैं | किन्तु तुम्हारे कहे को सहन नहीं करते हैं।"
Astonishing and unimaginable facts about Sanatana Dharma (HINDUISM)
सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ
इस तरह तिरस्कार करके बलि बाणों को कान तक खींच-खींचकर बाग्वाणों से प्रहार करके इन्द्र को मारने लगा।
तब इन्द्र ने बलि पर अमोघ वज्र प्रहार किया। तब पंख कटने से जैसे पक्षी गिर पड़ता है उसी तरह बलि रथ सहित पृथ्वी पर गिरकर मर गया।
तब जम्भासुर अपने मित्र को गिरा हुआ देखकर इन्द्र के सम्मुख युद्ध करने को आया। सिंह पर चढ़े हुए जम्भासुर ने पास आकर गदा को उठा कर इन्द्र के कण्ठ के हाड़ों पर प्रहार किया, फिर हाथी की कनपटी पर गदा मारी।
गदा के प्रहार से अत्यन्त व्यथित होकर हाथी ने पृथ्वी पर घोंटू टेक दिया और बड़ा खेदित हुआ। तब मातलि सारथी सहस्र घोड़ों के रथ को ले आया और इन्द्र हाथी को छोड़कर रथ में बैठ गया । तब जम्भ ने सारथी के उस कर्म की प्रशंसा को और हँसते-हँसते मातलि को उस त्रिशूल से मारा। मातलि ने उस दुःसह त्रिशूल की वेदना को सह लिया। यह देख इन्द्र ने क्रोधकर वज्र से जम्भ का शिर काट डाला।
नारद ऋषि से का मरण सुनकर नमुचि, पाक, बल और उसके सजातीय दैत्य बड़े वेग से वहाँ आकर इन्द्र के मारने को उपस्थित हो गये।
गर्भ से पिता को टोकने वाले अष्टावक्र ।।अष्टावक्र, महान विद्वान।।
महाकाल के नाम पर कई होटल, उनके संचालक मुस्लिम
क्या थे श्री कृष्ण के उत्तर! जब भीष्मपितामह ने राम और कृष्ण के अवतारों की तुलना की?A must read phrase from MAHABHARATA.
श्री कृष्ण के वस्त्रावतार का रहस्य।।
बल ने सहस्र वाणों से इन्द्र के हजार घोड़ों को प्रहारकर मार डाला। पाक ने मातलि के दोसौ बाण मारे और रथ के जूआ आदि को तोड़ डाला। नमुचि पन्द्रह बाण मारकर संग्राम में मेघ की तरह गरजने लगा।उन असुरों ने इन्द्र को रथ और सारथी सहित बाणों से इस तरह ढक दिया जैसे वर्षाऋतु के बादल सूर्य को ढक देते हैं। तदनन्तर इन्द्र ने शत्रुओं को मारने के लिये वज्र उठाया और उस वज्र से सब असुरों के देखते-देखते बल और पाक दोनों दैत्यों का सिर काट डाला।
आचार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ञान।
तांत्रिक यानी शरीर वैज्ञानिक।।
मनुष्य के वर्तमान जन्म के ऊपर पिछले जन्म अथवा जन्मों के प्रभाव का दस्तावेज है।
Find out how our Gurukul got closed. How did Gurukul end?
तुम कौन हो? आत्म जागरूकता पर एक कहानी।
तब नमुचि शोक और क्रोध से आतुर हो इन्द्र के मारने के लिये घण्टा और सुवर्ण से आभूषित लोहे का शूल लेकर यह कहता हुआ, दौड़ा कि "इन्द्र अब इस त्रिशूल से तुझको मार लिया ।"आकाश मार्ग से इस त्रिशूल को आता देख इन्द्र ने अपने बाणों से उसके हजारों टुकड़े कर दिये और फिर क्रुद्ध होकर उसका शिर काटने के लिये उसकी ग्रीवा में अपना बज्र मारा। परन्तु उस बज्र से नमचि की त्वचा भी नहीं कटी यह देख इन्द्र दुःखित हो बोला- "आश्चर्य है कि जिस वज्र ने वृत्रासुर को मार के गिराया था उस ही वज्र का नमुचि की त्वचा ने तिरस्कार कर दिया। हाय! अब में इस बज्र को हाथ में नहीं उठाऊंगा यह तो लकड़ी के टुकड़े के सदृश हैं, क्या दधीचि का तेज भी इस समय निष्फल हो गया।"
जब इन्द्र इस तरह दुःखित हो रहा था तब आकशवाणी ने कहा- "हे इन्द्र ? तू शोक मत कर मेरे वरदान के कारण यह दैत्य न गीले से मरेगा, न सूखे से मरेगा। उससे इसके मारने का तुम कोई दूसरा उपाय सोचो।"The questions of narada and their answers.
तदनन्तर एक समुद्र का झाग इन्द्र की निगाह में छाया उसने सोचा कि ये जल का झाग न सूखा है न गीला है। ऐसा विचार कर झाग को हाथ में लेकर इन्द्र ने उस से नमुचि के शिर काट डाला। इसी तरह वायु अग्नि और वरुणादिक देवताओं ने अनेक दैत्यों को मार डाला।
हे राजन् ! दानवों का नाश देख कर ब्रह्मा ने नारद ऋषि को देवताओं के पास भेजा तब नारदजी देवताओं के पास जाकर कहने लगे--
" हे देवताओ ! नारायण जी कृपा से आप लोगों को अमृत मिल गया तुम्हारी सब प्रकार से कीर्ति और लक्ष्मी की वृद्धि हुई अब इस युद्ध से निवृत हो जाओ।"
यज्ञशाला में जाने के सात वैज्ञानिक लाभ।।
सनातन व सिखी में कोई भेद नहीं।
सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है !
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सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ।
Why idol worship is criticized? Need to know idol worshipping.
तंत्र--एक कदम और आगे। नाभि से जुड़ा हुआ एक आत्ममुग्ध तांत्रिक।
क्या था रावण की नाभि में अमृत का रहस्य? तंत्र- एक विज्ञान।।
तब देवता नारदजी का बचन मान क्रोध को त्याग कर स्वर्ग को चले गये। तथा नारद के कहने पर दैत्य लोग भी बलि के मृतक शरीर को लेकर अस्ताचल को चले गये। वहां पर जिन दैत्यों के हाथ पांव आदि अवयव नष्ट नहीं हुए थे, और सिर विद्यमान थे उनको शुक्राचार्य जी ने सञ्जीवनी विद्या से जिला दिया। फिर शुक्राचार्य जी ने बलि के देह पर हाथ फेरा इससे उसकी नष्ट हुई इन्द्रियों की शक्ति और स्मृति फिर आगई, और वह जी उठा। हे राजन् ! राजा बलि अपनी पराजय होने पर भी खेदित नहीं हुआ क्योंकि वह सांसारिक तत्व का वेत्ता यानी जानने वाला था।।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम अध्याय समाप्तम🥀।।
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