नारद जी द्वारा विशेष धर्म कथन (गृहस्थाश्रम धर्म)
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ नवीन सुख सागर कथा श्रीमद भागवद पुराण चौदहवाँ अध्याय [स्कंध७] नारद जी द्वारा विशेष धर्म कथन (गृहस्थाश्रम धर्म) श्रीमद भागवद पुराण चौदहवाँ अध्याय [स्कंध७] (नारद जी द्वारा विशेष धर्म कथन) दो०-चौदहवें अध्याय में, कहयौ ज्ञान को सार। परम हंस तज दीजिये, गृह जीवन अनुसार || नारद जी द्वारा सिद्धि अवस्था तथा सन्यास आश्रम धर्म वर्णन।। श्रीमद भागवद पुराण* बारहवां अध्याय * [स्कंध७] ( चारों आश्रमों के धर्म का वर्णन ) नरसिंह भगवान का अंत