प्रहलाद द्वारा बालकों को उपदेश।। भक्त प्रह्लाद की कथा भाग २।।
नवीन सुख सागर श्रीमद भागवद पुराण छटवां अध्याय [स्कंध ७] (प्रहलाद द्वारा बालकों को उपदेश) दो० गुरू घर जा प्रहलाद ने, प्रकटे निजी विचार। सहपाठी को उपदेश दे, राम नाम है सार।। विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ महा भक्त प्रह्लाद की कथा।। भाग १ श्रीमद भागवद पुराण सातवां अध्याय [स्कंध ७] ( नारद के कहे उपदेश का वृतान्त ) नारद जी बोले-हे राजन् ! गुरू के घर जाय प्रहलाद रहने लगा एक दिन गुरू किसी काम से गये थे, जिससे वह चटशाला से अनुपस्थित थे, तब प्रहलाद ने अपने साथ के पढ़ने वाले बालकों को इस प्रकार उपदेश दिया। प्रहलाद जी बोले--हे दैत्य पुत्रो ! बुद्धिमान मनुष्य को चाहिए कि वह वाल्यकला से ही वैष्णव धर्म की उपासना करे। क्योंकि प्राणियों को यह मनुष्य जन्म मिलना कठिन है। सब अर्थों को देने वाला यही मनुष्य जन