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नारद मुनि द्वारा जीवात्मा का सत्य।।

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विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ नवीन सुख सागर  श्रीमद भागवद पुराण सोलहवां अध्याय [स्कंध ६] ( नारद द्वारा चित्रकेतू को ज्ञान देना ) दो• सुत द्वारा नृप शोक सब नारद दियो हटाय ।  हर्ष भयौ भूपाल मन सोलहवे अध्याय॥ श्री शुकदेवजी बोले-हे परीक्षत ! नारदजी ने राजा चित्रकेतु का शोक दूर करने के लिये मृतक राजपुत्र के जीवात्मा को जीवित कर कहा-हे जीवात्मन् ! यह तुम्हारे माता और सुहृदय बन्धु-जन तुम्हारे न रहने के शोक से अत्यन्त व्याकुल हो रहे हैं, सो तुम इनके शोक को दूर करने के लिये अपने देह में प्रवेश कर के अपनी शेष आयु को अपने पिता के दिये भोगों को भोगो। नारद जी की यह बात सुन उस राजकुमार के जीवात्मा ने कहा है- हे मुनि ! यह मेरे माता-पिता किस जन्म में हुये थे। मैं तो अपने कमों के अनुसार मनुष्य पशु-पक्षी आदि सभी योनियों का भ्रमण करता हूँ। यदि यह