Shrimad Bhagwata Mahapuran [Mangla Charan]

ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]

मैं एक धार्मिक परिवार से हूं। बचपन से ही आपनी माता को धर्म ग्रंथ पढ़ते देखा था।
भागवद पुराण भी उन्हीं में से एक है। पढ़ने की इष्छा होती तो पढती भी थी। लेकिन समझ कम ही आता था। वक़्त निकलता गया। मेरी शादी हो गई। ससुराल में कुछ भी ठीक नहीं था। कुछ अच्छा नही लगता था। पुरा दिन रोने में ही जाता था।
फिर जब में प्रेग्नेंट हुई, तब माँ ने मुझे वही भागवद पुराण दे दी। और बोला जब तू होने वाली थी, तेरे नानू ने दी थी मुझे, अब तुझे दे रही हूँ।
मैनें पढ़ना शुरु कर दिया। और इसकी महिमा समझती गई। और अब ये मेरी जिंदगी बन गया है।
इसी लिय इसे web पर डालने का सोचा कि जो भी दुख से पीड़ित है, या कोई भी तकलीफ हो जिन्हें, वोह इसे पढ सके और, सुख प्राप्त कर सकें। अभी भी काम चल रहा है और पता नही कितना वक़्त लगेगा, लेकिन कुछ देर तक ये पुरा पुराण web पर अवश्य होगा। और सब लोग इसका लाभ उठा सकेंगे।।
जय श्री कृष्णा।।
जय श्री हरि।।



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