इक्ष्वाकुल के कौन से राजा कलियुग में योग द्वारा सूर्य वंश को फिर उत्पन्न करेंगें। सुख सागर अध्याय १२ [स्कंध ९]

।। श्री गणेशाय नमः।।

-  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 

-  ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।  

-  ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि। 

-  ॐ विष्णवे नम: 

 - ॐ हूं विष्णवे नम: 

- ॐ आं संकर्षणाय नम: 

- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम: 

- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम: 

- ॐ नारायणाय नम: 

- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।। 

ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ 

ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ 

ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

धर्म कथाएं

Bhagwad puran

विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
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श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
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श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]

श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]

इक्ष्वाकुल के कौन से राजा कलियुग में योग द्वारा सूर्य वंश को फिर उत्पन्न करेंगें। सुख सागर अध्याय १२ [स्कंध ९]    नवीन सुख सागर  श्रीमद  भागवद  पुराण  बारहवां अध्याय [स्कंध ९]  ( श्रीराम-तनय कुश का वंश विवरण )  दोहा-या वारहे अध्याय में कुश को वंशीच्चार। लै इक्ष्वाकुशशाद कौ वंश विभव प्रसतार।।१२।।   श्रीशुकदेवजी बोले--- कुश के पुत्र का नाम अतिथि था इनके निषध और निषध के नभ हुआ, नभ के पुण्डरीक और पुण्डरीक के क्षेमधन्वा हुआ।   क्षेमधन्वा के देवनीक, इसके अनीह और अनीह के पुत्र का नाम पारियात्र इसके बल, बल के स्थल के सूर्य के अंश से वज्रनाभ हुआ, वज्रनाभ के सुगण के विधृति, विधृति के हिरण्यनाभ हुआ।   हिरण्यनाम के पुष्प हुआ और इसके ध्रुवसंधि हुआ ध्रुवसंधि के सुदर्शन और सुदर्शन के अग्नि वर्ण के शीघ्र और शीघ्र के मरु हुआ। यह योगद्वारा सिद्ध होकर कलाप गांव में स्थित है और कलयुग के अन्त में नष्ट हुए सूर्य वंश को फिर उत्पन्न करेगा।    मरू के प्रसुश्रुत, प्रसुश्रुत के संधि, संधि के अमर्षण, अमर्षण के सहस्वान, सहस्वान के विश्वबाहु, विश्वबाहु के प्रसेनजित, और प्रसेनजित के तक्षक हुआ। तक्षक के वृहद्वल हुआ जिसको तेरे पिता अभिमन्यु ने मारा था।   ये सब इक्ष्वाकु वंश के राजा हैं जो हो गये, अब होने वालों के नाम सुनिये । वृहद्वल का पुत्र वृहदॢण होगा, इसके उरुक्रम और उरुक्रम के वत्सवृद्ध होगा।   इसी तरह प्रतिव्योम, भानु, दिवाकर, वाहिनी, पति, सहदेव, वीर, अन्तरिक्ष, भानुमान, प्रतीकाश्व, सुप्रतीक, मरुदेव, सुनक्षत्र, पुष्कर, अन्तरिक्ष, सुतपा, अभित्रजित, वृहन्दान, कृतंजय, रणंजय, संजय, शाक्य, शुद्धोद, लांगल, प्रसेनजिन, क्षुद्रक, कारण, सुरथ, सुमित्र, ये सब राजा उत्तरोत्तर एक दूसरे के पुत्र वृहद्वल के वंश में होंगे। इक्ष्वाकु वंश सुमित राजा के संग नष्ट हो जायगा, उससे आगे इस वंश में कोई राजा न होगा ।   ।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम अध्याय समाप्तम🥀।।   ༺═──────────────═༻ ༺═──────────────═༻ _人人人人人人_अध्याय समाप्त_人人人人人人_

इक्ष्वाकुल के कौन से राजा कलियुग में योग द्वारा सूर्य वंश को फिर उत्पन्न करेंगें। सुख सागर अध्याय १२ [स्कंध ९]    नवीन सुख सागर  श्रीमद  भागवद  पुराण  बारहवां अध्याय [स्कंध ९]  ( श्रीराम-तनय कुश का वंश विवरण )  दोहा-या वारहे अध्याय में कुश को वंशीच्चार। लै इक्ष्वाकुशशाद कौ वंश विभव प्रसतार।।१२।।   श्रीशुकदेवजी बोले--- कुश के पुत्र का नाम अतिथि था इनके निषध और निषध के नभ हुआ, नभ के पुण्डरीक और पुण्डरीक के क्षेमधन्वा हुआ।   क्षेमधन्वा के देवनीक, इसके अनीह और अनीह के पुत्र का नाम पारियात्र इसके बल, बल के स्थल के सूर्य के अंश से वज्रनाभ हुआ, वज्रनाभ के सुगण के विधृति, विधृति के हिरण्यनाभ हुआ।   हिरण्यनाम के पुष्प हुआ और इसके ध्रुवसंधि हुआ ध्रुवसंधि के सुदर्शन और सुदर्शन के अग्नि वर्ण के शीघ्र और शीघ्र के मरु हुआ। यह योगद्वारा सिद्ध होकर कलाप गांव में स्थित है और कलयुग के अन्त में नष्ट हुए सूर्य वंश को फिर उत्पन्न करेगा।    मरू के प्रसुश्रुत, प्रसुश्रुत के संधि, संधि के अमर्षण, अमर्षण के सहस्वान, सहस्वान के विश्वबाहु, विश्वबाहु के प्रसेनजित, और प्रसेनजित के तक्षक हुआ। तक्षक के वृहद्वल हुआ जिसको तेरे पिता अभिमन्यु ने मारा था।   ये सब इक्ष्वाकु वंश के राजा हैं जो हो गये, अब होने वालों के नाम सुनिये । वृहद्वल का पुत्र वृहदॢण होगा, इसके उरुक्रम और उरुक्रम के वत्सवृद्ध होगा।   इसी तरह प्रतिव्योम, भानु, दिवाकर, वाहिनी, पति, सहदेव, वीर, अन्तरिक्ष, भानुमान, प्रतीकाश्व, सुप्रतीक, मरुदेव, सुनक्षत्र, पुष्कर, अन्तरिक्ष, सुतपा, अभित्रजित, वृहन्दान, कृतंजय, रणंजय, संजय, शाक्य, शुद्धोद, लांगल, प्रसेनजिन, क्षुद्रक, कारण, सुरथ, सुमित्र, ये सब राजा उत्तरोत्तर एक दूसरे के पुत्र वृहद्वल के वंश में होंगे। इक्ष्वाकु वंश सुमित राजा के संग नष्ट हो जायगा, उससे आगे इस वंश में कोई राजा न होगा ।   ।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम अध्याय समाप्तम🥀।।   ༺═──────────────═༻ ༺═──────────────═༻ _人人人人人人_अध्याय समाप्त_人人人人人人_

पिछले अध्याय में आपने पढ़ा


नवीन सुख सागर 



इक्ष्वाकुल के कौन से राजा कलियुग में योग द्वारा सूर्य वंश को फिर उत्पन्न करेंगें। सुख सागर अध्याय १२ [स्कंध ९]  कल्कि अवतार।।
श्रीमद  भागवद  पुराण  बारहवां अध्याय [स्कंध ९] 
( श्रीराम-तनय कुश का वंश विवरण ) 

दोहा-या वारहे अध्याय में कुश को वंशीच्चार।

लै इक्ष्वाकुशशाद कौ वंश विभव प्रसतार।।१२।। 


श्रीशुकदेवजी बोले--- कुश के पुत्र का नाम अतिथि था इनके निषध और निषध के नभ हुआ, नभ के पुण्डरीक और पुण्डरीक के क्षेमधन्वा हुआ। 

क्षेमधन्वा के देवनीक, इसके अनीह और अनीह के पुत्र का नाम पारियात्र इसके बल, बल के स्थल के सूर्य के अंश से वज्रनाभ हुआ, वज्रनाभ के सुगण के विधृति, विधृति के हिरण्यनाभ हुआ। 

हिरण्यनाम के पुष्प हुआ और इसके ध्रुवसंधि हुआ ध्रुवसंधि के सुदर्शन और सुदर्शन के अग्नि वर्ण के शीघ्र और शीघ्र के मरु हुआ। यह योगद्वारा सिद्ध होकर कलाप गांव में स्थित है और कलयुग के अन्त में नष्ट हुए सूर्य वंश को फिर उत्पन्न करेगा। 



मरू के प्रसुश्रुत, प्रसुश्रुत के संधि, संधि के अमर्षण, अमर्षण के सहस्वान, सहस्वान के विश्वबाहु, विश्वबाहु के प्रसेनजित, और प्रसेनजित के तक्षक हुआ। तक्षक के वृहद्वल हुआ जिसको तेरे पिता अभिमन्यु ने मारा था। 

ये सब इक्ष्वाकु वंश के राजा हैं जो हो गये, अब होने वालों के नाम सुनिये । वृहद्वल का पुत्र वृहदॢण होगा, इसके उरुक्रम और उरुक्रम के वत्सवृद्ध होगा। 

इसी तरह प्रतिव्योम, भानु, दिवाकर, वाहिनी, पति, सहदेव, वीर, अन्तरिक्ष, भानुमान, प्रतीकाश्व, सुप्रतीक, मरुदेव, सुनक्षत्र, पुष्कर, अन्तरिक्ष, सुतपा, अभित्रजित, वृहन्दान, कृतंजय, रणंजय, संजय, शाक्य, शुद्धोद, लांगल, प्रसेनजिन, क्षुद्रक, कारण, सुरथ, सुमित्र, ये सब राजा उत्तरोत्तर एक दूसरे के पुत्र वृहद्वल के वंश में होंगे।
इक्ष्वाकु वंश सुमित राजा के संग नष्ट हो जायगा, उससे आगे इस वंश में कोई राजा न होगा । 

।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम अध्याय समाप्तम🥀।। 

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The events, the calculations, the facts aren't depicted by any living sources. These are completely same as depicted in our granths. So you can easily formulate or access the power of SANATANA. Jai shree Krishna.🙏ॐ 

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 श्रीमद भागवद पुराण वेद व्यास जी द्वारा रचित एक मुख्य ग्रंथ है। एक बार सुनने या पढ़ने से किसी भी ग्रंथ का सार अंतकरण में बैठना सम्भव नहीं। किंतु निरंतर कथाओं का सार ग्रहण करने से निश्चय ही कृष्ण भक्ति की प्राप्ति होती है। इसीलिए धर्म ग्रंथों का निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए। 


 Preserving the most prestigious, सब वेदों का सार, प्रभू विष्णु के भिन्न अवतार...... Shrimad Bhagwad Mahapuran 🕉 For queries mail us at: shrimadbhagwadpuran@gmail.com Suggestions are welcome!
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