- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
- ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
- ॐ विष्णवे नम:
- ॐ हूं विष्णवे नम:
- ॐ आं संकर्षणाय नम:
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
- ॐ नारायणाय नम:
- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
श्रीमद्भागवद पुराण महात्मय का सोलहवॉं आध्यय [स्कंध १](परीक्षित की दिग्विजय कथा)भागवत (सुखसागर) की कथाएँ -- कलियुग का आगमन
दोहा: विपिन परीक्षित जस लखे धर्म भूमि कलिकाल।।
सो सोलहे अध्याय में वर्णों कथा विसाल ॥ ४॥
पृथ्वी और अन्य सभी पाताल लोकों का विधिवत वर्णन। गृहण क्या है?
(पाताल स्थित नरक का वर्णन ) Where does the soul goes in between reincarnations?
विष्णु भगवान का सर्वदेवमय स्वरूप।। श्रीमद भागवद पुराण अध्याय २३ [स्कंध ५]
सूतजी कहने लगे-हे शौनक ! इसके पश्चात महाभक्त परीक्षित राज्य पाकर द्विजवरों की शिक्षा के अनुसार पृथ्वी का कार्य करने लगा, गद्दी पर बैठने के पीछे राजा परीक्षित ने उत्तर की बेटी इरावती से विवाह किया और इनके जन्मजय आदि चार पुत्र उत्पन्न हुए। फिर गङ्गा तट पर कृपाचार्य को गुरु बनाकर तीन बड़े अश्वमेध यज्ञ किये जिनमें ब्राह्मणों को गहरी दक्षिणा दी गयी थीं और मूर्ति में देवता आकर अपने भाग ले गये। एक समय राजा परीक्षित दिग्विजय के लिये बाहर निकला था।
कलयुग का राजा परीक्षित से सामना।।
गर्भ से पिता को टोकने वाले अष्टावक्र ।।अष्टावक्र, महान विद्वान।।
महाकाल के नाम पर कई होटल, उनके संचालक मुस्लिम
क्या थे श्री कृष्ण के उत्तर! जब भीष्मपितामह ने राम और कृष्ण के अवतारों की तुलना की?A must read phrase from MAHABHARATA.
श्री कृष्ण के वस्त्रावतार का रहस्य।।
Most of the hindus are confused about which God to be worshipped. Find answer to your doubts.
थोड़ी दूर जाकर क्या देखता है कि एक शूद्र राजा का वेश धारण किये हुए एक गौ और बैल को पांव की ऐड़ी से मारता चला आता है, इस चरित्र को देखकर राजा ने उसे पकड़ लिया। यह सुनकर शौनक पूछने लगे कि, राजा का वेश धारण किये हुए यह शूद्र कौन था जो गो और बैल को पाँवों से मारता था। हे महाभाग ! यदि यह बात श्री कृष्ण कथा के आश्रित हो तो हमसे कहना नहीं तो और व्यर्थ चर्चाओं को हमें सुनने का कुछ प्रयोजन नहीं।
हरि लीला अमृत।।
।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम सोलहवॉं अध्याय समाप्तम🥀।।
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