समुद्र मंथन।। भाग २ (कालकूट की उत्पत्ति)
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ नवीन सुख सागर कथा श्रीमद भागवद पुराण सातवाँ अध्याय स्कंध ८ समुद्र मंथन से कालकूट की उत्पत्ति दो०- विष लखि डरपे सवे जल, कीन्ह शम्भु विष पान। सो सप्तम अध्याय में, वर्णन चरित महान।। धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ समुद्र मंथन के 14 रत्न, समुद्र मंथन की कथा, समुद्र मंथन कहां हुआ था, समुद्र मंथन का अर्थ, समुद्र मंथन क्यों हुआ, समुद्र मंथन की कथा, समुद्र मंथन, समुद्र मंथन कब हुआ था, समुद्र मंथन से निकला हाथी Bhagwad Mahapuran को पढ़ने से पहले कुछ बातें समझने से तथ्य समझ में आते