चारों आश्रमों के धर्म का वर्णन।।
धर्म कथाएं
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६
श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७
श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८
नवीन सुख सागर कथा
श्रीमद भागवद पुराण* बारहवां अध्याय * [स्कंध७]
( चारों आश्रमों के धर्म का वर्णन )
दो• या बारह अध्याय में कीनी कथा उचार।
चारो आश्रम धर्म का वर्णन किया विचार|
नरसिंह भगवान का अंतर्ध्यान होना।। मय दानव की कहानी।।
सनातन धर्म तथा सभी वर्ण आश्रमों का नारद मुनि द्वारा सम्पूर्ण वखान।।
महा भक्त प्रह्लाद की कथा।। भाग १
हिरण्यकश्यपु का नरसिंह द्वारा विनाश।। महभक्त प्रह्लाद की कथा भाग ४
प्रह्लाद द्वारा भगवान का स्तवन। महाभक्त प्रह्लाद की कथा भाग ५।।
ब्रह्माचार्य नियम।।
---हे राजन् ! मनुष्य को चाहिये कि ब्रह्मचारी गुरु के घर जितेन्द्रिय हो निवास कर गुरु में दृढ़ भक्ति रक्खे। साँय, प्रातः, गुरु, अग्नि, अन्य सब देवताओं की उपासना करे, दोनों संध्याओं में वृह्म गायत्री का जप कर मौन धारण हो वेद पढ़े और वेद पढ़ने के पश्चात गुरु के चरणों में मस्तक झुकाकर प्रणाम करे।
गृहस्थी धर्म।।
वृह्मचारी के धर्मो को गृहस्थी और सन्यासी को भी करना चाहिये। गुरुसेवा करना इनको आवश्यक नहीं है।गृहस्थ ऋतुकाल में स्त्री संग करे।वृह्मचारी वेद आदि पढ़कर सामर्थ अनुसार गुरु को दक्षिणा दे फिर गृहस्थाश्रम में प्रवेश करे।
वानप्रस्थ धर्म।।
मंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं?
यज्ञशाला में जाने के सात वैज्ञानिक लाभ।।
सनातन व सिखी में कोई भेद नहीं।
सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है !
सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ।
Why idol worship is criticized? Need to know idol worshipping.
तंत्र--एक कदम और आगे। नाभि से जुड़ा हुआ एक आत्ममुग्ध तांत्रिक।
क्या था रावण की नाभि में अमृत का रहस्य? तंत्र- एक विज्ञान।।
आचार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ञान।
![श्रीमद भागवद पुराण* बारहवां अध्याय * [स्कंध७] ( चारों आश्रमों के धर्म का वर्णन ) नवीन सुख सागर कथा श्रीमद भागवद पुराण* बारहवां अध्याय * [स्कंध७] ( चारों आश्रमों के धर्म का वर्णन ) दो• या बारह अध्याय में कीनी कथा उचार। चारो आश्रम धर्म का वर्णन किया विचार| नारदजी बोले-हे राजन् ! मनुष्य को चाहिये कि ब्रह्मचारी गुरु के घर जितेन्द्रिय हो निवास कर गुरु में दृढ़ भक्ति रक्खे । साँय, प्रातः, गुरु, अग्नि, अन्य सब देवताओं की उपासना करे, दोनों संध्याओं में वृह्म गायत्री का जप कर मौन धारण हो वेद पढ़े और वेद पढ़ने के पश्चात गुरु के चरणों में मस्तक झुकाकर प्रणाम करे। मेखला, मृगचर्म, वस्त्र, जटा, दण्ड, कमलु, यज्ञोपवीत, हर समय धारण किये रहे। दोनों समय जो भिक्षा मांग कर लावे सो गुरु के सामने रखे और जब जो गुरु आज्ञा दे सो खावे, यदि न खाने की कहे तो कुछ न खावें। वृह्मचारी स्त्री की बातें सुने सौंदर्य साधनों का उपयोग न करे, किसी स्त्री के साथ एकान्त में न बैठे चाहे अपनी कन्या हो क्यों न हो। वृह्मचारी के धर्मो को गृहस्थी और सन्यासी को भी करना चाहिये। गुरुसेवा करना इनको आवश्यक नहीं है। गृहस्थ ऋतुकाल में स्त्री संग करे। वृह्मचारी वेद आदि पढ़कर सामर्थ अनुसार गुरु को दक्षिणा दे फिर गृहस्थाश्रम में प्रवेश करे। अब वानप्रस्थ के धर्म कहते हैं जोत लगे खेत के द्वारा उत्पन्न हुये अन्न को कभी नहीं खाय। अग्नि भुने और सूर्य से पके अन्न व फल को खाय। वन में होने वाले अन्न में फल आदि से होम कर्म करे। कंदरा में रहे जाड़ा, वायु, अग्नि वर्षा, धूप, यह सब शरीर पर सहे। सिर, बाल, रोम, नख, दाड़ी, मूछ, जटा, शरीर शुद्धी, कमन्डलु, मृगछाला, दण्ड, वल्कल, आग अग्निहोत्र की सामिग्री, ये सब चीज हर समय अपने पास रखें। बन में बारह या आठ या चार या दो अथवा एक वर्ष व्रत आचरण करके रहे। जब तक तप के कष्ट से बुद्धि पुष्टि न हो जाय तब तक नियम पूर्वक यह धर्म करे। अहंकार व ममता का परित्याग कर अग्नि को अपने भीतर धारण करे । ।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम बारहवां अध्याय समाप्तम🥀।। ༺═──────────────═༻ ༺═──────────────═༻ _人人人人人人_अध्याय समाप्त_人人人人人人_](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcFloYLxHin618b8lixgW6uRASoFO9k35zdBXeP_sCncKkrO1dbstAMrEZuEAsteGSufoI-aLz4FJ_ZFZqL1-fD0_wr94Pss1tQWqLBHmT4fgbAd49w2Qk6OwMHp8_uLdrqz4ny6UV1xJA/w320-h316/Screenshot_20210808-131153_Gallery.jpg)
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