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श्रीमद भागवद पुराण *आठवां अध्याय *[स्कंध५] (राजा भरत की कथा)

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Listen to podcasts  https://anchor.fm/shrimad-bhagwad-mahapuran धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण *आठवां अध्याय *[स्कंध५] (भरत को मृगत्व)  दोहा-मृग शिशु पाल प्रेम मय प्रभुहि भक्ति विसराय॥ सो आठवें अध्याय में भरत मये मृग आय।। एक दिन राजा भरत महा नदी गंडक में स्नान कर अपना नित्य नैमित्तिक सब कर्म करके तीन मुहर्त नदी के तट पर औंकार का जप कर रहे थे । हे परीक्षित! वहाँ उस समय एक हिरनी जो अकेली थी उस नदी में जलपान करने की इच्छा से आइ। हे राजन् ! वह हिरणी गर्भवती थी जब वह हिरणी नदी में पानी पी रही थी, तभी निकट में ही किसी सिंह ने गर्जना की सो उस सिंह नाद को सुनकर भय कारण हिरणी का कलेजा फटने लगा, और आँखें घूमने लगीं तब वह अपनी रक्षा के लिये सिंह से बचने को नदी को फलाँगने के लिए बड़े बल पूर्वक एक छलाँग मारी । तब उस बल पूर्वक छलाँग लगाने से उस गर्भवती