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नारद जी द्वारा सिद्धि अवस्था तथा सन्यास आश्रम धर्म वर्णन।।

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ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ नारद जी द्वारा सिद्धि अवस्था तथा सन्यास आश्रम धर्म वर्णन।।  धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ नवीन सुख सागर कथा श्रीमद भागवद पुराण तेरहवां अध्याय [स्कंध७] ( सिद्धि अवस्था वर्णन) दो०- सिद्धि रूप वर्णन कियो, सब विधि सो समझाय। सन्यासी अवधूत की, कथा वही दरसाय।।  नारदजी बोले--- ---हे राजन ! वानप्रस्थ के पश्चात सन्यास है।। यदि देह में बल हो करे।  समस्त वस्तुओं का, शरीर के अतिरिक्त परित्याग करे। एक गाँव में एक रात्रि से अधिक न ठहरे सब लालसा त्याग दे, निरपेक्ष हो पृथ्वी पर विचरण