Maa vaishno devi bhajan (क्षमा करो अपराध, शरण माँ आया हूँ)

क्षमा करो अपराध, शरण माँ आया हूँ

-श्री गणेशाय नमः

-  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 

-  ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।  

-  ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि। 

-  ॐ विष्णवे नम: 

 - ॐ हूं विष्णवे नम: 

- ॐ आं संकर्षणाय नम: 

- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम: 

- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम: 

- ॐ नारायणाय नम: 

- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।। 

ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ 

ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ 

ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

धर्म कथाएं

Bhagwad puran

विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
 श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]

श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]

क्षमा करो अपराध, शरण माँ आया हूँ
माता वैष्णो द्वार मै झुकायाँ हूँ 
देवों के सब संकट तारे
रक्त बीज मधु केट्भ मारे
शुम्भ अशुम्भ असुर संघारे
किया भगत कल्याण, शरण माँ आया हूँ 
बालकपन खेलों में गवायाँ
योवन विषयों में भरमाया
बुढापन कुछ काम न आया
जीवन सफल बनाओ, शरण माँ आया हूँ 
धन योवन का साथ नहीं है
विदयाधन कुछ पास नहीं है
नाम बड़ा नहीं काम बड़ा नहीं
नहीं बड़ा कुल धाम, शरण माँ आया हूँ 
धर्म मार्ग मुझको न सुहाते
सदा कुमार्ग मुझको भाते
मन चंचल तेरा ध्यान न करता
बड़ा चबल नादान, शरण माँ आया हूँ 
घर बहार से हूँ ठुकराया
विषयों मैं भटका घबराया
समय गवां कर मैं पछताया
विषय सर्प मन दशा, शरण माँ आया हूँ 
माँ विपदा ने मुझे हैं घेरा
बिन तेरे अब कोई न मेरा
दिन बंधू माँ नाम है तेरा
करो सफल निज धाम, शरण माँ आया हूँ
क्षमा करो अपराध, शरण माँ आया हूँ 
माता वैष्णो द्वार मै झुकायाँ हूँ।।


The events, the calculations, the facts aren't depicted by any living sources. These are completely same as depicted in our granths. So you can easily formulate or access the power of SANATANA. Jai shree Krishna.🙏ॐ ▲───────◇◆◇───────▲ श्रीमद भागवद पुराण वेद व्यास जी द्वारा रचित एक मुख्य ग्रंथ है। एक बार सुनने या पढ़ने से किसी भी ग्रंथ का सार अंतकरण में बैठना सम्भव नहीं। किंतु निरंतर कथाओं का सार ग्रहण करने से निश्चय ही कृष्ण भक्ति की प्राप्ति होती है। इसीलिए धर्म ग्रंथों का निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए। Preserving the most prestigious, सब वेदों का सार, प्रभू विष्णु के भिन्न अवतार...... Shrimad Bhagwad Mahapuran 🕉 For queries mail us at: shrimadbhagwadpuran@gmail.com Suggestions are welcome!
Previous Post Next Post