श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवां अध्याय [स्कंध ५] (जड़ भरत का निर्मल उपदेश)
Listen to podcasts https://anchor.fm/shrimad-bhagwad-mahapuran धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवां अध्याय [स्कंध ५] (जड़ भरत का निर्मल उपदेश) दोहा-दियो रहूगण को भरत, जिस प्रकार उपदेस। सो ग्यारह अध्याय में, वर्णन कियौ विशेष ॥ श्रीमद भागवद पुराण * दसवां अध्याय *[स्कंध ५] (जड़ भरत और रहूगण का संवाद) https://shrimadbhagwadmahapuran.blogspot.com/2021/03/blog-post_24.html श्री शुकदेव जी बोले-हे परीक्षत ! रहूगण के इस प्रकर पूछने पर जड़ भरत ने कहा-- हे रहूगण! यद्यपि तुम पंडित (विद्वान) नहीं हो, परन्तु तुम उन की सी बातें अवश्य बनाते हो । लो इस कारण तुम पंडित जैसे लगने पर भी अधिक पंडितों की संगति में तुम योग्य और श्रेष्ठ नहीं कहे जा सकते हो । क्योंकि पंडितजन इस व्यवहार को मिथ्या ठहराते हैं। क्योंकि जिस प्रकार संसार का व्यवहार