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कृष्णा की लीलाओं का वर्णन।।

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 श्रीमद भागवद पुराण पाँचवाँ अध्याय [स्कंध ३] मैत्रैय जी द्वारा भगवान लीलाओं का वर्णन दो०-मैत्रय मुनि ने विदुर को, दी जो कथा सुनाय । सो पंचम अध्याय में, लिखी सकल समझाय ॥ श्री शुकदेव जी बोले-हे राजन् ! खोज करते हुये विदुरजी जब हरिद्वार पहुँचे तो वहाँ उन्होंने गंभीर ज्ञान वाले श्री मैत्रेय जी को विराजमान देखा तो उनके निकट जाय करबद्ध हो प्रणाम किया ।  विदुर जी के मुख को देख कर मैत्रेय जी ने पूछा--  "हे विदुर आप इतने उदास क्यों हो रहे हो, इस प्रकार दुखी होने का कारण क्या है?" मैत्रेय जी द्वारा इस प्रकार पूछने पर विदुर जी ने, भक्त राज उद्धव से अपनी भेंट होने और उनके द्वारा बताई, सभी बातें कह सुनाई । अंत में सब कुछ बता कर विदुर जी ने कहा -- "हे मुनि! भगवान श्री कृष्ण चन्द्र के गोलोक धाम पधारने से मेरे यह दशा हो गई है। अब मेरी इच्छा यह है कि संपूर्ण लोक सुख प्राप्ती के निमित्त अनेक कर्म करता है परन्तु उन कर्मों से न तो सुख ही प्राप्त होता है और न किसी प्रकार उस दुख की ही निवृत्ति हो पाती है। अतः इन दुखों से छुटकारे पाने के लिये और जो उपाय हैं वह आप मुझ से कहिये, कि जिन कर्मों को

श्रीकृष्ण भगवान ने पाण्डवों की रक्षा।।अर्जुन कृष्णा प्रेम।। श्रीकृष्ण स्तुति।।यदुकुल का नाश।।

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पृथ्वी और अन्य सभी पाताल लोकों का विधिवत वर्णन। गृहण क्या है? (पाताल स्थित नरक का वर्णन ) Where does the soul goes in between reincarnations?  विष्णु भगवान का सर्वदेवमय स्वरूप।। श्रीमद भागवद पुराण अध्याय २३ [स्कंध ५] -  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय  -  ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।   -  ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।  -  ॐ विष्णवे नम:   - ॐ हूं विष्णवे नम:  - ॐ आं संकर्षणाय नम:  - ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:  - ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:  - ॐ नारायणाय नम:  - ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।  ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्री

युधिष्ठिर को कलयुग के लक्षण का आभास होना।।

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-  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय  -  ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।   -  ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।  -  ॐ विष्णवे नम:   - ॐ हूं विष्णवे नम:  - ॐ आं संकर्षणाय नम:  - ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:  - ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:  - ॐ नारायणाय नम:  - ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।  ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ श्रीमद्भागवद पुराण महात्मय क

महाभारत समाप्ति के उपरान्त श्रीकृष्ण का द्वारिका गमन।।

श्रीमदभागवदपुराण महात्मय अध्याय ११ [सकन्ध २] निजजनों से स्तुति किये हुये श्रीकृष्ण भगवान द्वारका पहुचे और अत्यन्त प्रसन्न भये दोहा-द्वारावति जस आयकर, सुखी भये यदुराय।। सो ग्यारह वें अध्यायमें कथा कही हर्षाय॥११॥ सूतजी कहने लगे-हे ऋषिश्वर! वे श्रीकृष्ण भगवान ने अच्छी तरह समृद्धि से बढ़े हुए अपने द्वारका के देशों को प्राप्त होकर अपने पाँच जन्य शंख को बजाया माना इन्हें की सब पीड़ा को हरते हैं। प्रजा का श्रीकृष्ण के प्रती समर्पण  श्रीकृष्ण स्तुति फिर जगत के भयको दूर करने वाले उस शंख के शब्द को सुनकर अपने स्वामी के दर्शन की लालसा वाली सम्पूर्ण प्रजा सन्मुख आई। प्रसन्न मुख वाली होकर हर्ष से गद्ग गद वाणी सहित ऐसे बोलने लगी कि जैसे बालक अपने पिता से बोलते हैं। प्रजा के लोग स्तुति करने लगे कि- हे नाथ ! ब्रह्म और सनकादि ऋषियों से वंदित आपके चरणार विन्दों को हम सदा प्रणाम करते हैं। हे विश्वके पालक! तुम हमारा पालन करो तुम्ही माता सुहृद तथा तुम ही पिता हो, तुमही परम गुरु और परम देव हो, हम बड़े सनाथ होगये। हे कमल नयन! जिस समय आप हम को त्याग हस्तिनापुर व मथुरा को पधारते हो तब हमको एक क्षण तुम्हारे बिन

श्री कृष्ण भगवान का हस्तिनापुर से गमन।।श्रीकृष्ण भगवान का द्वारिका प्रस्थान।।

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धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ श्रीमद्भागवद पुराण महात्मय का दसवाँ आध्यय [स्कंध १]श्री कृष्ण भगवान का हस्तिनापुर से गमन।।श्रीकृष्ण भगवान का द्वारिका प्रस्थान।। दोहा-गये कृष्ण निज धाम जस हस्तिनापुर में आय। सो दसवें अध्याप में कथा कही समझाय ।। १०॥ Bhagwad Mahapuran को पढ़ने से पहले कुछ बातें समझने से तथ्य समझ में आते हैं।। अमृतोत्पादन के लिये देवासुर का उद्योग।। समुद्र मंथन भाग १।। श्रीमद भागवद पुराण पाँचवाँ अध्याय [स्कंध ८ ] (ब्रम्हाजी द्वारा स्तवन) गज और ग्राह की कथा - भाग ३ (सुख सागर कथा)गजेन्द्र का स्वर्ग जाना।।  गज और ग्राह की कथा - भाग २ (सुख सागर कथा)गजेन्द्र मोक्ष।।  गज और ग्राह की कथा।। भाग १ (सुख सागर कथा) नवीन सुख सागर (श्रीमद भागवद पुराण)  -आठवां स्कन्ध प्रा

युधिष्ठिर का भीष्म पितामह से सब धर्मों का सुनना।।

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धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ ▲───────◇◆◇───────▲▲───────◇◆◇───────▲▲───────◇◆◇───────▲ गज और ग्राह की कथा - भाग २ (सुख सागर कथा)गजेन्द्र मोक्ष।।  गज और ग्राह की कथा।। भाग १ (सुख सागर कथा) नवीन सुख सागर (श्रीमद भागवद पुराण)  -आठवां स्कन्ध प्रारम्भ  श्री नारद मुनि द्वारा मोक्ष लक्षण वर्णन।। श्रीमद भागवद पुराण चौदहवाँ अध्याय  [स्कंध७] नारद जी द्वारा विशेष धर्म कथन (गृहस्थाश्रम धर्म)  नारद जी द्वारा सिद्धि अवस्था तथा सन्यास आश्रम धर्म वर्णन।।  श्रीमद भागवद पुराण* बारहवां अध्याय * [स्कंध७] ( चारों आश्रमों के धर्म का वर्णन )  श्रीमद भागवद  पुराण महात्मय का नवम आध्यय [स्कंध १] दोहा-धर्म विनम जर धर्म कृम, भाष्यों भीष्म उचार।। सो नवमे अध्याय में वरण विविध प्रकार।। य

अश्वत्थामा का ब्रह्म अस्त्र छोड़ना।परीक्षित राजा के जन्म कर्म और मुक्ति की कथा।।

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श्रीमद्भागवद पुराण महात्मय का आठवाँ आध्यय [स्कंध १] दोहा-कहयो व्यास सों जन्म को नारद जी से हाल।। सोई षट् अध्याय में वर्णी कथा रासल।। अश्वत्थामा का बृह्माआस्तृ छोड़ना और श्रीकृष्ण द्वारा पंड़वो की रक्षा धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ सूतजी कहने लगे-इसके अनन्तर वे पांडव मरे हुए पुत्रों को तिलांजलि देने के वास्ते, द्रोपदी आदि स्त्रियों को आगे करके गङ्गाजी के तट पर गये तथा बारम्बार नहाये। फिर वहाँ छोटे भीमादिकों के सहित बैठे हुये राजा युधिष्ठिर, धृतराष्ट्र और पुत्रों के शोक से दुखी हुई गान्धारी, कुन्ती, द्रोपदी, इन सबों को मुनि जनों सहित श्रीकृष्ण सान्त्वना देने लगे, और जिन धूर्त दुर्योधन आदिकों ने युधिष्ठिर का राज्य हर लिया था, जो दुर्योधन आदि दुष्ट द्रोपदी के केश पकड़ने से नष्