राजा मनु का पुर्ण चरित्र व वंश वर्णन। मनु पुत्री का कदर्म ऋषि संग विवाह।।
श्रीमद भागवद पुराण बाईसवां अध्याय [स्कंध३] देवहूति का कदमजी के साथ विवाह होना दोहा-ज्यों कदम को देवहूति ने मनु को दी सौंपाय। बाईसवे अध्याय में कथा कही दर्शाय ॥ श्री शुकदेव जी बोले-हे परीक्षित ! इस प्रकार विदुर जी को कथा प्रसंग सुनाते हुए मेत्रेय जी बोले हे विदुर जी ! जब कर्दम जी के सम्पूर्ण गुणों को प्रसंसा करते हुये आने का प्रयोजन जानने को कहा तो मनु जी बोले हे मुनि आपके दर्शन को हमारे संपूर्ण सन्देह दूर हो गये, मैं इस अपनी कन्या के प्रेम विवश अति किलष्ट चित्त और दीन हूँ, सो आप मुझ दीन की प्रार्थना कृपा करके ध्यान पूर्वक सुनिये। यह हमारी देवहूति नामक कन्या जो कि हमारे पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद की बहन है, सो अवस्था, शील, आदि गुणों से युक्त है। सो यह आपके ही समान गुण वाले पति की अभिलाषा करती है। इस कन्या ने जब से नारदमुनि के मुख से आपके गुण, रूप, शील तथा अवस्था की प्रसंसा सुनी है तब से इसने अपने मन से आपको अपना पति बनाने का निश्चय कर लिया है । सो हे प्रियवर ! मैं अपनी इस 1. कन्या को आपकोश्रद्धा पूर्वक समर्पण करता हूँ । हे विद्वान मैंने यह सुना था कि आप अपने विवाह का उद्योग कर रहे ह