Shrimad Bhagwad Mahapuran [Skandh 8]
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
धर्म कथाएं
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
नवीन सुख सागर
श्रीमद भागवद पुराण दूसरा अध्याय [स्कंध८]
गजेन्द्र का उपाख्यान
दोहा- अध्याय में कही कथा गजेन्द्र उचार।
तामें प्रथम द्वितीय में जल क्रीड़ा को सार ।
गज और ग्राह की कथा।। भाग १ (सुख सागर कथा)
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श्रीमद भागवद पुराण तीसरा अध्याय [स्कंध८]
गज और ग्राह की कथा - भाग २ (सुख सागर कथा)गजेन्द्र मोक्ष।।
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श्रीमद्भागवद पुराण चौथा अध्याय स्कंध ८
दो० अब चतुर्थ में कहयौ ग्राह भयो गंधर्व।
गज हर पार्षद जस भयो सो भाष्यों है सब ||
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श्रीमद भागवद पुराण पाँचवाँ अध्याय [स्कंध ८ ] (ब्रम्हाजी द्वारा स्तवन)
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श्रीमद भागवद पुराण छठवाँ अध्याय [ स्कंध ८]
(अमृतोत्पादन के लिये देवासुर का उद्योग) समुद्र मंथन भाग १।।
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श्रीमद भागवद पुराण सातवाँ अध्याय स्कंध ८
समुद्र मंथन से कालकूट की उत्पत्ति
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सुख सागर कथा।। समुद्र मंथन भाग ४।।मोहिनी अवतार।।
श्रीमद भागवद पुराण नवां अध्याय स्कंध ८
भवगान का मोहिनी रूप धारण कर दैत्यों से अमृत कलश लेना।।
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सुख सागर कथा।। समुद्र मंथन भाग ५ (देवासुर संग्राम)
श्रीमद् भागवद पुराण * दसवां अध्याय * स्कंध ८( देवासुर संग्राम)
दोहा ॰ दैत्य सुरन सौ जब भयो भीषण युद्ध अपार।
सो दसवें में है कथा जस प्रकटे करतार ||
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श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ग्यारहवाँ स्कंध ८ ( देवासुर की समर-समप्ति) देवासुर संग्राम
दोहा- अब ग्यारह में कही, दैत्यों का संहार।
भृगु नारद मेक्यो तभी कीन जीब संचार।।
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श्रीमद्भागवद पुराण बारहवाँ अध्याय स्कंध 8
(मोहनी रूप देख महादेव की मोह प्राप्ति)
दोहा-रूप मोहनी दर्शहि इच्छा धारि महेश।
बारह में वर्णन कियो विष्णु दीन्ह उपदेश।।
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श्रीमद्भागवद पुराण तेरहवाँ अध्याय स्कंध ८।।वैबस्वतादि मन्वन्तर वर्णन।।
दोहा-तेरहवें में वैवस्वत मनु सप्तम राजत जोय।
भाषे जौन भविष्य जो कथा कही सब सोय।।
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श्रीमद्भागवद पुराण चौदहवां अध्याय स्कंध ८
(मन्वादि का पृथक पृथक कर्मादि वर्णन)
दो० चौदह में प्रभु आज्ञा लहि मनु कीन्हे कर्म।
सो अब वर्णन उपदेशमय भांति-भांति के मर्म ||
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श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवां अध्याय स्कंध ८
दो०-अब बलि को वर्णन कथा भाखी नो अध्याय |
यज्ञ विश्वजित एक में बलि को बैभव लाय ||१५|
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श्रीमद भगवद पुराण सोलहवाँ अध्याय [स्कंध ८]
कश्यप द्वारा पयोव्रत कथन )पयोव्रत कथन : सब यज्ञ, सब ब्रतों और सब तपों का सार।
दो०-सोलह में निज सुतन लखि अदिति महा दुख पाय।
जैसे कश्यप कह गये निज समाधि विसराय।।
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श्रीमद भागवद पुराण* अठारहवाँ अध्याय *[स्कंध ८]
दोहा-अठारहवें अध्याय में प्रकटे वामन आय।
दैत्य भूप बयि के यहां यांच्यो वर हर्षाये ||
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श्रीमद भागवद पुराण अध्याय १९ [स्कंध ८]
( वामन द्वारा बलि से तीन पैर भूमि की प्रार्थना )
दो० तीन पैर की याचना वामन बलि से कीन।
सो उन्नीसव है कही धलि की कथा नवीन ॥
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दोहा-वामन छलहू जानिकै दान हर्षि नृप दीन।
सो बिसहें वर्णन कियो बाढ़े विष्णु प्रवीन।।
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श्रीमद भागवद पुराण इक्कीसवाँ अध्याय [स्कंध८]
( विष्णु द्वारा बलि का बन्धन )वामन अवतार भाग 5
दोहा- इक इस में पग तृतीय हित हरि बांधे बलिराज।
बलि को महिमा देन हित वामन कोन्हें काज ।।
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श्रीमद भागवद पुराण अध्याय २२ स्कंध ८ [भगवान का द्वारपालना स्वीकार]
दोहा-बाईसवें अध्याय में बलि भेज्यो पाताल।
आप द्वार रक्षक भये दीनानाथ दयाल | ।
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श्रीमद भागवद पुराण तेईसवां अध्याय [स्कंध ८]
दो०- तेईस में प्रहलाद युतसुतल बसे बलि जाय।
लहि आनन्द श्रीविष्णुयुत स्वर्ग गये सुरराय ।२।
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