श्रीमद भागवद पुराण * छटवां अध्याय * [स्कंध ५] (श्री ऋषभदेव जी का देह त्याग करना)
Listen to podcasts https://anchor.fm/shrimad-bhagwad-mahapuran धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण * छटवां अध्याय * [स्कंध ५] (श्री ऋषभदेव जी का देह त्याग करना) दो०-देह त्याग कियो ऋषभ, जिमि अंतिम भये छार। सो छटवें अध्याय में, बरनी कथा उचार ।। श्री शुकदेवजी बोले-हे अर्जुन पौत्र! इस प्रकार अनेक सिद्धियों को प्राप्त होने पर भी ऋषभ देव जी ने उन्हें स्वीकार नहीं किया। कहने का तात्पर्य है कि सिद्धियों का अपने निमित्त कभी प्रयोग नहीं किया था । इतनी कथा सुनकर राजा परिक्षत ने श्री शुकदेव जी से मधुर वचनों में पूछा हे मुनि! ऋषभ देव जी ने प्राप्त हुई सिद्धियो को अंगीकार क्यों नहीं किया था, सो यह सब भेद आप मुझ पर प्रकट करिये, आपकी अति कृपा होगी। तब श्री शुकदेव जी बोले-हे परीक्षित! विद्वान पुरुषों ने कहा है कि इस चंचल मन का विश्वास बहुत से लोग नहीं करते हैं ।