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क्या है विष्णु भगवान का सर्वदेवमय स्वरूप।। श्रीमद भागवद पुराण अध्याय २३ [स्कंध ५]

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विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ प्रभू के रूप को बिना श्रद्धा के जानना कठिन हो सकता है। किन्तु अगर मन में विश्वास दृड़ है, तो सब कुछ संभव है। ॥ॐ तथास्तु ॐ॥ नवीन सुख सागर क्या है विष्णु भगवान का सर्वदेवमय स्वरूप।। श्रीमद भागवद पुराण अध्याय २३ [स्कंध ५] (ज्योतिष चक्र अवस्थिति का वर्णन) दो०-वर्णन ध्रुव स्थान का, विधिवत कह्यौ सुनाय । रूप विष्णु कर व्योम मधि तेसईवे अध्याय॥ शुकदेव जी बोले-हे राजन् ! उन सप्त ऋषियों से तेरह लाख योजन ऊपर विष्णु पद    है। जहाँ ध्रुव जी स्थिति हैं, जिनकी चाल कभी नहीं रुकती है।  सब नक्षत्रों गृह आदि तारागणों को बाँध रखने वाला एक थम्भ रूप ईश्वर द्वारा बनाये हुये ध्रुव जी सर्वदा प्रकाश मान रहते हैं। यह गृह आदि नक्षत्र काल चक्र के भीतर व बाहर जुड़े हुये ध्रुव का अवलंबन किये हुए हैं, जो पवन के घुमाये हुये कल्प पर्यन