सुख सागर कथा।। समुद्र मंथन भाग ३।। लक्ष्मी माता की उत्पत्ति।।मोहिनी अवतार।।
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
नवीन सुख सागर
श्रीमद भागवद पुराण आठवां अध्याय स्कंध ८।।सुख सागर कथा।। समुद्र मंथन भाग ३।। मोहिनी अवतार।।
(भगवान का मोहिनी रूप धारण करना)
दो० लक्ष्मी प्रगटी विष्णु तब, वरण प्रेम सों कीन्ह।
अमृत हित जस विष्णु ने, रूप में मोहिनी लीन्ह।।
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नरसिंह भगवान का अंतर्ध्यान होना।। मय दानव की कहानी।।
सनातन धर्म तथा सभी वर्ण आश्रमों का नारद मुनि द्वारा सम्पूर्ण वखान।।
ॐ॥ तदन्तर साक्षात लक्ष्मी उत्पन्न हुई ये भगवान में अत्यन्त तत्पर थीं, इनके रूप, उदारता, नववय, वर्ण और कान्ति से देवता अपनी सुध बुत्र भूल गये।
इस तरह स्वस्तिवाचन होने के पीछे भौरों से शब्दायमान कमल की माला को हाथ में लेकर सुन्दर कपोलों पर कुण्डल और लज्जा सहित मन्द हसन युक्त, सुख की अपूर्व शोभा धारण करती हुई लक्ष्मीजी चली। वे इधर उधर आंख फेर फेरकर चारों ओर अपने अनुरूप सद्गुणों से युक्त पति को ढूंढ़ती, परन्तु गन्धर्व, असुर, यक्ष, सिद्ध चारण, देवता आदि किसी में कोई भी उनकी इच्छा के अनुकूल न निकला, तब लक्ष्मी ने कहा कि तुम सब सुर, असुर बराबर बैठ जाओ जिसको मेरी आत्मा कहेगी उसकी मैं अपना पति चुनुंगी।
Find out how our Gurukul got closed. How did Gurukul end?
तुम कौन हो? आत्म जागरूकता पर एक कहानी।
सबसे कमजोर बल: गुरुत्वाकर्षण बल।सबसे ताकतवर बल: नाभकीय बल। शिव।। विज्ञान।।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।
Shree ram ki kavita, kahani (chaand ko hai ram se shikayat)
यह कहकर जयमाला हाथ में लेकर एक एक को देखती चलीं तब जो कोई तपस्वी है उनमें है उनमें क्रोध देखा और जो कोई ज्ञानी हैं उनमें संग त्याग नहीं देखा, कोई महान है उनमें काम त्याग नहीं देखा और जो इन्द्रादिक ईश्वर हैं पराश्रय देखे । जो धर्माचरणी हैं उनमें प्राणियों पर अनुकम्पा नहीं देखी, किसी-किसी में त्याग है परन्तु वह त्याग मुक्ति का कारण नहीं देखा, कोई-कोई पराक्रमी तो हैं परन्तु उनसे काल का वेग नहीं रुक सकता है, कोई-कोई गुण विशिष्ठ और सङ्ग रहित तो हैं परन्तु वे सदा समाधिनिष्ठ रहते हैं, कोई कोई दीर्घजीवी हैं परन्तु उनका स्वभाव अच्छा नहीं देखा, कोई-कोई सुस्वभाव हैं परन्तु आयु का ठिकाना नहीं देखा, कोई-कोई में शील और दीर्घायु दोनों हैं परन्तु वे मङ्गल रूप नहीं देखे, और जो सब प्रकार से मङ्गलरूप हैं वे मेरी इच्छा ही नहीं करते हैं। इस तरह सोच विचार कर आचार सहित, सद्गुणों से युक्त और माया के गुणों के सम्बन्ध मात्र से रहित श्रीहरि भगवान को लक्ष्मी ने अपना पति बनाया।
आचार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ञान।
तांत्रिक यानी शरीर वैज्ञानिक।।
मनुष्य के वर्तमान जन्म के ऊपर पिछले जन्म अथवा जन्मों के प्रभाव का दस्तावेज है।
मत्त-भ्रमरों के गुंजार से कूजित नवीन पद्ममाला को उनके कण्ठ में डालकर लज्जा और हास्थ से युक्त अपने प्रफुल्लित नेत्रों से अपने रहने के स्थान वक्षःस्थल को देखती हुई लक्ष्मी भगवान के निकट हाथ जोड़ कर खड़ी हो गई।
तब भगवान ने उस त्रिलोक-जननी को रहने के लिये अपने वक्षःस्थल में निवास दिया।
आचार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ञान।
तांत्रिक यानी शरीर वैज्ञानिक।।
मनुष्य के वर्तमान जन्म के ऊपर पिछले जन्म अथवा जन्मों के प्रभाव का दस्तावेज है।
गर्भ से पिता को टोकने वाले अष्टावक्र ।।अष्टावक्र, महान विद्वान।।
क्या थे श्री कृष्ण के उत्तर! जब भीष्मपितामह ने राम और कृष्ण के अवतारों की तुलना की?A must read phrase from MAHABHARATA.
श्री कृष्ण के वस्त्रावतार का रहस्य।।
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हम किसी भी व्यक्ति का नाम विभीषण क्यों नहीं रखते ?
How do I balance between life and bhakti?
मंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं?
यज्ञशाला में जाने के सात वैज्ञानिक लाभ।।
सनातन व सिखी में कोई भेद नहीं।
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