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सुख सागर कथा। समुद्र मंथन भाग १

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ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ नवीन सुख सागर कथा।। श्रीमद भागवद पुराण छठवाँ अध्याय [ स्कंध ८] (अमृतोत्पादन के लिये देवासुर का उद्योग) समुद्र मंथन भाग १।। धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ समुद्र मंथन के 14 रत्न, समुद्र मंथन की कथा, समुद्र मंथन कहां हुआ था, समुद्र मंथन का अर्थ, समुद्र मंथन क्यों हुआ, समुद्र मंथन की कथा, समुद्र मंथन, समुद्र मंथन कब हुआ था, समुद्र मंथन से निकला हाथी श्रीशुकदेवजी बोले- हे राजन् ! जब इस प्रकार देवताओं ने भगवान की स्तुति की, तब भगवान उन्हीं देवताओं के बीच