श्रीमद भगवद पुराण *१८ अध्याय * [स्कंध ४] कामधेनु रूपी पृथ्वी का दोहना
धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] प्रथमहिं नाम लेत तव जोई । जग कहं सकल काज सिद्ध होई ॥ सुमिरहिं तुमहिं मिलहिं सुख नाना । बिनु तव कृपा न कहुं कल्याना ॥ नित्य गजानन जो गुण गावत । गृह बसि सुमति परम सुख पावत ॥ जन धन धान्य सुवन सुखदायक । देहिं सकल शुभ श्री गणनायक ॥ ༺꧁ #जय_श्री_गणेश ꧂ ༻श्री_गणेश_जी के दर्शन से आपकी मनोकामना पूर्ण हो और आप सदा स्वस्थ रहें।༻ 卐°॰•~ॐ~•॰°॥जयश्रीराम ॥°॰•~ॐ~•॰°卐 श्रीमद भगवद पुराण * अठारहवाँ अध्याय * [स्कंध ४] ( कामधेनु रूपी पृथ्वी का दोहना) दोहा-जिस प्रकार पृथु ने दुही, पृथ्वी रूपी गाय। अष्टम दस अध्याय में, कही कथा समझाय॥ श्री शुकदेव जी बोले- हे परीक्षत ! श्री मैत्रेय जी बोले-हे विदुर ! जब पृथ्वी ने इस प्रकार कहा तो पृथु ने उसकी बात को मान कर दया का भाव दिखाया, और पृथ्वी से कहा कि अब तू ही बता कि किस प्रकार से फिर सब वस्तुयें प्रकट होंगी। तब हाथ जोड़ कर पृथ्वी बोल