Shrimad Bhagwata Puran [Skandh 2]


ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

धर्म कथाएं

विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
 श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]

श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]

श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६


 मैं एक धार्मिक परिवार से हूं। बचपन से ही आपनी माता को धर्म ग्रंथ पढ़ते देखा था। 

भागवद पुराण भी उन्हीं में से एक है। पढ़ने की इष्छा होती तो पढती भी थी। लेकिन समझ कम ही आता था। वक़्त निकलता गया। मेरी शादी हो गई। ससुराल में कुछ भी ठीक नहीं था। कुछ अच्छा नही लगता था। पुरा दिन रोने में ही जाता था।
फिर जब में प्रेग्नेंट हुई, तब माँ ने मुझे वही भागवद पुराण दे दी। और बोला जब तू होने वाली थी, तेरे नानू ने दी थी मुझे, अब तुझे दे रही हूँ।
मैनें पढ़ना शुरु कर दिया। और इसकी महिमा समझती गई। और अब ये मेरी जिंदगी बन गया है।
इसी लिय इसे web पर डालने का सोचा कि जो भी दुख से पीड़ित है, या कोई भी तकलीफ हो जिन्हें, वोह इसे पढ सके और, सुख प्राप्त कर सकें। अभी भी काम चल रहा है और पता नही कितना वक़्त लगेगा, लेकिन कुछ देर तक ये पुरा पुराण web पर अवश्य होगा। और सब लोग इसका लाभ उठा सकेंगे।।
जय श्री कृष्णा।।
जय श्री हरि।।



शुकदेव जी द्वारा श्रीमद भागवत आरंभ एवं विराट रूप का वर्णन।। अध्याय १[स्कंध २]

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कैसे करते हैं ज्ञानीजन प्राणों का त्याग।। श्रीमद भगवद पुराण महात्मय अध्याय २[स्कंध २]
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शुकदेव जी द्वारा विभिन्न कामनाओं अर्थ देवो का पूजन का ज्ञान।। श्रीमद भागवद पुराण महात्मय अध्याय ३ [स्कंध २]
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ꕥश्रीमदभगवाद्पुराण किसने कब और किसे सुनायी।। अध्याय ४[स्कंध २]
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विष्णु में ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है।। अध्याय ५ [स्कंध २]
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श्रीमद भागवद पुराण * छठवां अध्याय * [स्कंध२]
(पुरुष की विभूति वर्णन)
दोहा-जिमि विराट हरि रूप का, अगम रूप कहलाय।
सो छठवें अध्याय में दीये भेद बताय।।

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बृह्मा द्वारा कर्मों के अनुसार भगवान नारायण के २४ अवतारों का वर्णन।। श्रीमद भागवद पुराण महात्मय अध्याय ७ [स्कंध २]

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श्रीमद भागवद पुराण महात्मय।। राजा परीक्षित-शुकदेव संवाद।। अध्याय ८ [स्कंध २]
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किन चार श्लोकों द्वारा हुई सम्पूर्ण भागवद पुराण की रचना।। अध्याय ९ [स्कंध २]
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ꕥश्री हरि नारायण का अस्तित्व।। देह का निरमाण।। अध्याय १० [स्कंध २]
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