नवीन सुख सागर श्रीमद भागवद पुराण -छठवाँ स्कन्ध प्रारम्भ॥अजामिल की मोक्ष वर्णन विषय
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ नवीन सुख सागर श्रीमद भागवद पुराण -छठवाँ स्कन्ध प्रारम्भ * मंगला चरण * दो० नारायण के नाम को जो सुमिरे एक वार। पाप क्षीण हो क्षणक में, हो भव सागर पार ॥ नर देही धारण करो, लियो न हरि को नाम | रे मन मूरख किस तरह, चाहँ तू हरि धाम || या छटवे स्कंध में, हैं उन्नीस अध्याय । पढ़े भक्त जन प्रेम से, प्रभु पद ध्यान लगाय ।। प्रथम अध्याय(अजामिल की मोक्ष वर्णन विषय) दो०- विष्णु पार्षद आयट, लिये यम दूत दबाय | दुष्ट अजामिल को लियौ, प्रथम अध्याय छुड़ाय || शुकदेव जी के बचन सुन परीक्षत ने विनय करके कहा हे मुने ! मेरे सामने आप उन उपायों का वर्णन करो कि जिनके करने से मनुष्य उन अनेक उग्र पीड़ा पहुँचाने वाले नरकों को प्राप्त न होवे । श्री शुकदेवजी बोले-हे राजा परीक्षत ! चाहे कोई भी मनुष्य क्यों न हो वह इस लोक में अगर मन, वाण