नारद तथा अंगिरा ऋषि का चित्रकेतु को शोक मुक्त करना।।
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ नवीन सुख सागर श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवाँ अध्याय [स्कंध ६] (चित्रकेतु को नारद तथा अंगिरा ऋषि द्वारा शोक मुक्त करना) दो० नारद और ऋषि अंगिरा, चित्रकेतु ढ़िग आय। शौक दूर कीयो सकल कहयौ ज्ञान दरसाय॥ श्री शुकदेव जी बोले-हे राजा परीक्षत ! राजा चित्रकेतु के राज भवन में जब अंगिरा ऋषि और नारद मुनि आये तो चित्रकेतु अपनी रानी आदि के सहित पुत्र शोक में इतना व्याकुल था, कि वह उन दोनों को पहिचान भी न सका। वह बारम्बार पुत्र के लिये विलाप करता था तथा उसकी रानी कृतुद्युति भी छाती पीट-पीट कर रोती थी। राजा को शोक में निमग्न देख अंगिरा और नारद जी ने उसे धैर्य देने को अनेक प्रकार से समझाना आरम्भ किया तो वह कुछ धीरज करता हुआ बोला-आप दोनों कौन हो सो अवधूत वेष धारण किये हुये यहाँ गुप्त भाव से आये हो, आप ज्ञान से परिपूर्ण प