मैं एक धार्मिक परिवार से हूं। बचपन से ही आपनी माता को धर्म ग्रंथ पढ़ते देखा था।
भागवद पुराण भी उन्हीं में से एक है। पढ़ने की इष्छा होती तो पढती भी थी। लेकिन समझ कम ही आता था। वक़्त निकलता गया। मेरी शादी हो गई। ससुराल में कुछ भी ठीक नहीं था। कुछ अच्छा नही लगता था। पुरा दिन रोने में ही जाता था।फिर जब में प्रेग्नेंट हुई, तब माँ ने मुझे वही भागवद पुराण दे दी। और बोला जब तू होने वाली थी, तेरे नानू ने दी थी मुझे, अब तुझे दे रही हूँ।
मैनें पढ़ना शुरु कर दिया। और इसकी महिमा समझती गई। और अब ये मेरी जिंदगी बन गया है।
इसी लिय इसे web पर डालने का सोचा कि जो भी दुख से पीड़ित है, या कोई भी तकलीफ हो जिन्हें, वोह इसे पढ सके और, सुख प्राप्त कर सकें। अभी भी काम चल रहा है और पता नही कितना वक़्त लगेगा, लेकिन कुछ देर तक ये पुरा पुराण web पर अवश्य होगा। और सब लोग इसका लाभ उठा सकेंगे।।
जय श्री कृष्णा।।
जय श्री हरि।।
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ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
धर्म कथाएं
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६
श्री गणेशाय नमः
** नवीन सुख सागर
-पाँचवाँ स्कन्ध प्रारम्भ
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ॐ मंगला चरण
दोहा-जगनायक, हे जग पिता, जग पालक जग ईश।
चरण कमल में आपके, नाऊँ भगवन शीश ॥
कृपा दृष्टि मो पर रखो, दीनबंधु सुख धाम।
निशि दिन मेरे हृदय में, रहै आपका नाम ।।
जग तारण भव भय हरण, भक्तों के आधार।
समय समय अवतार ले, हरयौ भूमि की भार ।।
हैं छब्बीस अध्याय यह या पंचम स्कन्ध।
पढ़े भक्त जन चित्त दे, मिटें पाप के फन्द ॥
श्रीमद भागवद पुराण * प्रथम अध्याय* [स्कंध५]
(प्रियव्रत चरित्र वर्णन)दो ०- नूपति भये प्रियवृत जिमि, ज्ञान लियी जिमि पाय।
सो वृतांत वर्णन कियौ, या पहिले अध्याय ।
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श्रीमद भागवद पुराण दूसरा अध्याय [स्कंध ५]
( अग्नीध्र चरित्र)
दोहा-सव अग्नीध का, भाषा करदू गाय।
या द्वितीय अध्याय में, श्रवण करी मन लाय।।
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श्रीमद भागवद पुराण * तीसरा अध्याय *[स्कंध ५] ऋषभ देव अवतार
( नाभि का चरित्र वर्णन )
दोहा-ऋषभ यज्ञ प्रकटित भये, यज्ञरूप अवार।
सो तीसरे अध्याय में, कही कथा सुख सार ।।
▲───────◇◆◇───────▲श्रीमद भागवद पुराण * चौथा अध्याय *[स्कंध ५] ( ऋषभ देव का चरित्र वर्णन )
दोहा-ऋषभ देव अवतार भये, कहूँ कथा समझाय।
या चौथे अध्याय में, कहें शुकदेव सुनाय ।।
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श्रीमद भागवद पुराण * पाँचवाँ अध्याय * [स्कंध५]
( ऋषभ देवजी का उपदेश करना )
दोहा-ऋषभ देव निज जात जिमि, दई सीख सुख दाय।
मोक्ष मार्ग वर्णन कियो, या पंचम अध्याय ।।
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श्रीमद भागवद पुराण * छटवां अध्याय * [स्कंध ५]
श्री ऋपमदेव जी का देह त्याग करना)
दो०-देह त्याग कियो ऋषभ, जिमि अंतिम भये छार।
सो छटवें अध्याय में, बरनी कथा उचार ।।
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श्रीमद भागवद पुराण* सातवां अध्याय *[स्कंध ५]
(भरत जी का चरित्र वर्णन )
दो० भरत राज्य जा विधि कियो। हरि सौं प्रेम बड़ाय।
सो सप्तम अध्याय में, कही कथा दर्शाय ।।
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श्रीमद भागवद पुराण *आठवां अध्याय *[स्कंध५]
(भरत को मृगत्व)
दोहा-मृग शिशु पाल प्रेम मय प्रभुहि भक्ति विसराय॥
सो आठवें अध्याय में भरत मये मृग आय।।
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श्रीमद भागवद पुराण * नौवां अध्याय *[स्कंध ५]
(भरत का विप्र जन्म लेना)
दोहा-या नवमे अध्याय में, भये भरत जड़ रूप।
सो उनकी सारी कथा, वर्णन करी अनूप ॥
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श्रीमद भागवद पुराण * दसवां अध्याय *[स्कंध ५]
(जड़ भरत और रहूगण का संवाद)
दोहा-सेवक पकड़े जड़ भरत, दिये सुख पाल लगाय ।
सो दसवें अध्याय में, कहयौ संवाद सुनाय ।।
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श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवां अध्याय [स्कंध ५]
(जड़ भरत का निर्मल उपदेश)
दोहा-दियो रहूगण को भरत, जिस प्रकार उपदेस।
सो ग्यारह अध्याय में, वर्णन कियौ विशेष ॥
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श्रीमद भागवद पुराण बारहवां अध्याय [स्कंध ५]
(राजा रहूगण का संदेह भंजन )
दोहा - शंसय कियो अनेक विधि, रहुगण भूप अनेक।
बारहवें अध्याय में, मैंटे सहित विवेक ।।
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श्रीमद भागवद पुराण ॥तेरहवां अध्याय॥ स्कंध५
(भयावटो वर्णन)
हो०-आत्म ज्ञान उपदेश जिमि' कहयो भरत समझाय।
तेरहवें अध्याय में, कथा कही दर्शाय ।।
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श्रीमद भागवद पुराण चौदहवां अध्याय [स्कंध ५]
(भवावटी की प्रकृति अर्थ वर्णन)
दो०-रूपक धरि कहि जड़ भरत, राजा दियौ समझाय।
भिन्न भिन्न कर सब कहयौ, चौदहवें अध्याय ।।
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श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवां अध्याय [स्कंध५] ॥भरत वंश का वृतान्त॥दोहा-भरत बन्श वर्णन कियी, श्री शुकदेव सुनाय।
भू परीक्षित सुन सभी, लीयो चित्त बिठाय ॥
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श्रीमद भागवद पूराण सोलहवां अध्याय [स्कंध५]
(भुवन कोष वर्णन) इलावृत खंड
दोहा०-भुवन कोस वर्णन कियो, श्री शुकदेव सुनाय।
सुनत परीक्षित भूप जिम सोलहवें अध्याय॥
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गंगा जी का विस्तार वर्णन।। भगवाद्पदी- श्री गंगा जी।
गंगा जी का विस्तार वर्णन।। भगवाद्पदी- श्री गंगा जी।
श्रीमद भगवद पुराण *सत्रहवां अध्याय*[स्कंध ५]
दोहा: कहयो गंग विस्तार सब, विधि पूर्वक दर्शाय।
संकर्षण का स्तबन कियो रुद्र हर्षाय।।
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श्रीमद भागवद पुराण इक्कीसवां अध्याय [स्कंध ५]
राशि संचार द्वारा लोक यात्रा निरूपण
दोहा-सूर्य चन्द्र की चाल से, होवे दिन और रात।
सो इक्कीस अध्याय विच, लिखी लोक की बात ।।
श्रीमद भागवद पुराण उन्नीसवाँ अध्याय * स्कंध५
भारत वर्ष का श्रेष्टत्व वर्णन
दो: हो भारत देश महान है, कहुँ सकल प्रस्तार।
या उन्नाव अध्याय में, वर्णित कियौ विचार।।
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श्रीमद भागवद पुराण इक्कीसवां अध्याय [स्कंध ५]
राशि संचार द्वारा लोक यात्रा निरूपण
दोहा-सूर्य चन्द्र की चाल से, होवे दिन और रात।
सो इक्कीस अध्याय विच, लिखी लोक की बात ।।
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श्रीमद भागवद पुराण बाईसवां अध्याय [स्कंध ५](चंद्र तथा शुक्र आदि नक्षत्रों एवं ग्रहों का वर्णन
श्रीमद भागवद पुराण बाईसवां अध्याय [स्कंध ५](चंद्र तथा शुक्र आदि नक्षत्रों एवं ग्रहों का वर्णन
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