गज और ग्राह की कथा - भाग ३ (सुख सागर कथा)गजेन्द्र का स्वर्ग जाना।।
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ नवीन सुख सागर कथा श्रीमद्भागवद पुराण चौथा अध्याय स्कंध ८ (गजेन्द्र का स्वर्ग जाना) दो० अब चतुर्थ में कहयौ ग्राह भयो गंधर्व। गज हर पार्षद जस भयो सो भाष्यों है सब || गज और ग्राह की कथा, गज और ग्राह की कथा सुनाई ,गज और ग्राह की कथा सुनाइए, गज ग्राह की कथा, गज और ग्राह की कहानी, गज और ग्राह की कहानी सुनाइए, गज और ग्राह की लड़ाई की कथा, गज ग्राह कथा नवीन सुख सागर (श्रीमद भागवद पुराण) -आठवां स्कन्ध प्रारम्भ श्री नारद मुनि द्व