सनातन धर्म तथा सभी वर्ण आश्रमों का नारद मुनि द्वारा सम्पूर्ण वखान।।
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६
श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७
श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८
नवीन सुख सागर कथा
श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवां अध्याय [स्कंध ७]
मनुष्य और स्त्री धर्म वर्णन।
दो०-या ग्यारह अध्याय में, वरणी कथा विचार।
नर नारी के धर्म का, कह दियो सब सार॥
नरसिंह भगवान का अंतर्ध्यान होना।। मय दानव की कहानी।।
सनातन धर्म तथा सभी वर्ण आश्रमों का नारद मुनि द्वारा सम्पूर्ण वखान।।
महा भक्त प्रह्लाद की कथा।। भाग १
हिरण्यकश्यपु का नरसिंह द्वारा विनाश।। महभक्त प्रह्लाद की कथा भाग ४
प्रह्लाद द्वारा भगवान का स्तवन। महाभक्त प्रह्लाद की कथा भाग ५।।
सनातन धर्म तथा सभी वर्ण आश्रमों (क्षत्रिय, ब्राह्मण, शूद्र, वैश्य) का नारद मुनि द्वारा सम्पूर्ण वखान।।
नारदजी बोले- हे राजन! धर्म का मूल सर्व देवमय भगवान हैं।जैसे धर्म के विषय में प्रमाण हैं, ऐसे ही वेद-ज्ञाताओं ने वेद की स्मृतियां भी वेद की प्रमाण रूप मानी हैं।
सत्य, दया, तपस्या, शौच, तितिक्षा, इच्छा, शम, दम, अहिंसा, वृह्मदर्य, दान, स्वाध्याय, सरलता, संतोष, समदृष्टि वाले महात्मा जनों की सेवा शनैः शनैः प्रवृत्त कर्मों से निवृत्ति, मनुष्यों के निष्फल जाते हुए कर्मों का विचार, मौन, आत्म-ज्ञान विचार, अपने भोजन में से दूसरे को बाँटकर देना, प्राणियों और आत्माओं में देवताओं की बुद्धि रखना, श्रीकृष्ण भगवान की नवधा भक्ति करना, कीर्तन, स्मरण, सेवा, पूजन, नमस्कार, करना दास-माव से बर्तना मित्र भाव से रहना, आत्म समर्पण करना, इस प्रकार मनुष्य का यह तीस लक्षों वाला यह परम धर्म कहा है। जिसके करने से भगवान प्रसन्न होते हैं।
जिनमें यज्ञ कराना, वेद पढ़ना, दान देना, यज्ञ कराना, दान लेना ये छः कर्म ब्राम्हणों के हैं।
लक्षण
सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ।
यज्ञशाला में जाने के सात वैज्ञानिक लाभ।।
Why idol worship is criticized? Need to know idol worshipping.
तंत्र--एक कदम और आगे। नाभि से जुड़ा हुआ एक आत्ममुग्ध तांत्रिक।
क्या था रावण की नाभि में अमृत का रहस्य? तंत्र- एक विज्ञान।।
आचार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ञान।
तांत्रिक यानी शरीर वैज्ञानिक।।
मनुष्य के वर्तमान जन्म के ऊपर पिछले जन्म अथवा जन्मों के प्रभाव का दस्तावेज है।
यदपि सभी वर्णों के धरम बताये गये हैं तथापि धर्म विषय में जाति निमित्त नहीं है अर्थात कर्म ही निमित्त है जैसे कि ब्राम्हण होकर शूद्र का कर्म करने लगे तो उसको शूद्र से ही उत्पन्न जानना चाहिये।
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