Shrimad Bhagwad Mahapuran [skandh 6]


ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
 श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]

श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]

श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६


 नवीन सुख सागर श्रीमद भागवद पुराण -छठवाँ स्कन्ध प्रारम्भ


* मंगला चरण *

दो० नारायण के नाम को जो सुमिरे एक वार।
पाप क्षीण हो क्षणक में, हो भव सागर पार ॥
नर देही धारण करो, लियो न हरि को नाम |
रे मन मूरख किस तरह, चाहँ तू हरि धाम ||
या छटवे स्कंध में, हैं उन्नीस अध्याय ।
पढ़े भक्त जन प्रेम से, प्रभु पद ध्यान लगाय ।।


प्रथम अध्याय
(अजामिल की मोक्ष वर्णन विषय)
दो०- विष्णु पार्षद आयट, लिये यम दूत दबाय |
दुष्ट अजामिल को लियौ, प्रथम अध्याय छुड़ाय || 


श्रीमद भागवद पुराण तीसरा अध्याय [स्कंध ६]
(वैष्णव धर्म का वर्णन)
दो. विष्णु महातम सारयम, निज दूतों को समझाय।
सो वर्णन कीनी सकल, या तृतीय अध्याय ॥

▲───────◇◆◇───────▲

नवीन सुख सागर 
श्रीमद भागवद पुराण चौथा अध्याय [स्कंध ६]
( दक्ष द्वारा हंस गुहा के स्तवन द्वारा हरि की आराधना )
दो०-दक्ष तपस्या अति करी, करन प्रजा उत्पन्न।
सो चौथे अध्याय में कही कथा सम्पन्न॥


▲───────◇◆◇───────▲




▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲

▲───────◇◆◇───────▲

▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲








▲───────◇◆◇───────▲
नवीन सुख सागर
श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवाँ अध्याय [स्कंध ६]
(वृतासुर का चरित्र वर्णन)
दो००वृतासुर ने भक्तिमय, सुन्दर वरणों ज्ञान।
ग्यारहवें अध्याय में, ताकौ कियो बखान।।

▲───────◇◆◇───────▲



▲───────◇◆◇───────▲



▲───────◇◆◇───────▲


असुर वृत्तासुर का देव भाव को प्राप्त होना।।
नवीन सुख सागर
श्रीमद भागवद पुराण चौदहवाँ अध्याय [स्कंध ६]
(चित्रकेतु चरित्र वर्णन)
दो०- चिरकेतु के चरित्र को वर्णन कियौ सुनाये।
भाख्यो शुक संपूर्ण यश चौदहवे अध्यायः॥



▲───────◇◆◇───────▲

नवीन सुख सागर
श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवाँ अध्याय [स्कंध ६]
(चित्रकेतु को नारद तथा अंगिरा ऋषि द्वारा शोक मुक्त करना)
दो० नारद और ऋषि अंगिरा, चित्रकेतु ढ़िग आय।
शौक दूर कीयो सकल कहयौ ज्ञान दरसाय॥

▲───────◇◆◇───────▲



▲───────◇◆◇───────▲




▲───────◇◆◇───────▲




▲───────◇◆◇───────▲




▲───────◇◆◇───────▲





स्कंध समाप्त 🙏🙏

Comments

Popular posts from this blog

सुख सागर अध्याय ३ [स्कंध९] बलराम और माता रेवती का विवाह प्रसंग ( तनय शर्याति का वंशकीर्तन)

जानिए भागवद पुराण में ब्रह्मांड से जुड़े रहस्य जिन्हें, विज्ञान को खोजने में वर्षों लग गये।

चारों आश्रमों के धर्म का वर्णन।।