प्रह्लाद द्वारा भगवान का स्तवन। महाभक्त प्रह्लाद की कथा भाग ५।।

नवीन सुख सागर 

श्रीमद भागवद पुराण  नौवाँ अध्याय [स्कंध ७]
प्रह्लाद द्वारा भगवान का स्तवन

दो०-भये बहुत भयभीत सब, नरसिंहरूप निहार। 

निकट गये प्रहलादजी, अस्तुति करीउचार || 


नवीन सुख सागर  श्रीमद भागवद पुराण  नौवाँ अध्याय [स्कंध ७] प्रह्लाद द्वारा भगवान का स्तवन दो०-भये बहुत भयभीत सब, नरसिंहरूप निहार।  निकट गये प्रहलादजी, अस्तुति करीउचार ||   नारद जी बोले-हे युधिष्ठर ! बृह्मा, महेश आदि सभी देवताओं आदि के स्तुति करने पर भी जब भगवान नृसिंह का क्रोध शान्त न हुआ तो सब देवताओं ने लक्ष्मी जी के पास जाकर कहा-हे माता ! भगवान नृसिंह के कोप से समस्त लोक भस्म हो जायेंगे। सो आप निकट जाय कोप को शान्त करें।   ऐसा कह लक्ष्मी जी को नृसिंह भगवान के पास भेजा।  लक्ष्मी जी ने आज तक कभी ऐसा स्वरूप नहीं देखा था सो वह देख शंका से निकट न गई और देवता लोगों को अनेक भली बुरी कहती हुई चली गई।  तब वृम्हा जी ने प्रहलाद जी से कहा- अब तुम्हीं कुपति हुये भगवान को शान्त करो। तब वृम्हा जी की आज्ञा मान कर प्रहलाद जी भगवान के पास जाय चरणों में गिर कर स्तुति करने लगा। तब प्रहलाद जी को अपने चरणों में गिरा देख नृसिंह भगवान ने उठाय सके शिर पर अपना हाथ फिराया,   जिससे प्रहलाद जी शीघ्र ही वृम्ह ज्ञान को प्राप्त हो परमानन्द में मग्न हो आँखों से आनन्द के आँसू बहाते हुये एकाग्र मन से प्रेम पूर्वक गद-गद वाणी से हरि भगवान की स्तुति करने लगे।  अनेक भाँति स्तुति करने के पश्चात प्रहलाद जी ने कहा-   हे भगवन! अब ये सब देवता लोग आपके स्वरूप को देखकर भय भीत हो रहे हैं, इस कारण अब आप इस कोप को शमन करो। हे नृसिंह भगवान ! इस असुर के मारने से सब लोग प्रसन्न हो गये हैं।  हे विभो ! दुखी पुरुषों के दुःख के मिटाने के लिये केवल आप ही समर्थ हैं। हे भगवान ! आपने जिस प्रकार इस समय अवतार लेकर मुझको अपना मान मेरी रक्षा की है। देवर्षि नारद के उपदेश को मुझसे कार्य रूप में परिणित करने के लिये आपने अपना स्वरूप प्रत्यक्ष दिखलाया और मेरे दैत्य पिता से मेरी एवं सभी भक्तजनों को रक्षा की है।  नारद जी बोले- भक्त प्रहलाद ने जब भक्ति पूर्वक इस तरह भगवान के गुण वर्णन किये। तब नरसिंह भगवान परम प्रसन्न बोले- हे कल्याण रूप प्रहलाद ! तुम्हारा मंगल हो, मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हूँ जो तुम्हारी इच्छा हो सो वर माँगलो । ।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम नवम अध्याय समाप्तम🥀।।  ༺═──────────────═༻ ༺═──────────────═༻ _人人人人人人_अध्याय समाप्त_人人人人人人_

नवीन सुख सागर

श्रीमद भागवद पुराण  नौवाँ अध्याय [स्कंध ७]
प्रह्लाद द्वारा भगवान का स्तवन
दो०-भये बहुत भयभीत सब, नरसिंहरूप निहार।
निकट गये प्रहलादजी, अस्तुति करीउचार ||

नारद जी बोले-हे युधिष्ठर ! बृह्मा, महेश आदि सभी देवताओं आदि के स्तुति करने पर भी जब भगवान नृसिंह का क्रोध शान्त न हुआ तो सब देवताओं ने लक्ष्मी जी के पास जाकर कहा-हे माता ! भगवान नृसिंह के कोप से समस्त लोक भस्म हो जायेंगे। सो आप निकट जाय कोप को शान्त करें।

ऐसा कह लक्ष्मी जी को नृसिंह भगवान के पास भेजा।

लक्ष्मी जी ने आज तक कभी ऐसा स्वरूप नहीं देखा था सो वह देख शंका से निकट न गई और देवता लोगों को अनेक भली बुरी कहती हुई चली गई।
तब वृम्हा जी ने प्रहलाद जी से कहा- अब तुम्हीं कुपति हुये भगवान को शान्त करो। तब वृम्हा जी की आज्ञा मान कर प्रहलाद जी भगवान के पास जाय चरणों में गिर कर स्तुति करने लगा। तब प्रहलाद जी को अपने चरणों में गिरा देख नृसिंह भगवान ने उठाय सके शिर पर अपना हाथ फिराया,

जिससे प्रहलाद जी शीघ्र ही वृम्ह ज्ञान को प्राप्त हो परमानन्द में मग्न हो आँखों से आनन्द के आँसू बहाते हुये एकाग्र मन से प्रेम पूर्वक गद-गद वाणी से हरि भगवान की स्तुति करने लगे।
अनेक भाँति स्तुति करने के पश्चात प्रहलाद जी ने कहा-

हे भगवन! अब ये सब देवता लोग आपके स्वरूप को देखकर भय भीत हो रहे हैं, इस कारण अब आप इस कोप को शमन करो। हे नृसिंह भगवान ! इस असुर के मारने से सब लोग प्रसन्न हो गये हैं।
हे विभो ! दुखी पुरुषों के दुःख के मिटाने के लिये केवल आप ही समर्थ हैं। हे भगवान ! आपने जिस प्रकार इस समय अवतार लेकर मुझको अपना मान मेरी रक्षा की है। देवर्षि नारद के उपदेश को मुझसे कार्य रूप में परिणित करने के लिये आपने अपना स्वरूप प्रत्यक्ष दिखलाया और मेरे दैत्य पिता से मेरी एवं सभी भक्तजनों को रक्षा की है।
नारद जी बोले- भक्त प्रहलाद ने जब भक्ति पूर्वक इस तरह भगवान के गुण वर्णन किये। तब नरसिंह भगवान परम प्रसन्न बोले- हे कल्याण रूप प्रहलाद ! तुम्हारा मंगल हो, मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हूँ जो तुम्हारी इच्छा हो सो वर माँगलो ।

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