पृथ्वी और अन्य सभी पाताल लोकों का विधिवत वर्णन। गृहण क्या है?
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ पृथ्वी और अन्य सभी पाताल लोकों का विधिवत वर्णन। गृहण क्या है?श्रीमद भागवद पुराण चौबीसवां अध्याय [स्कंध५] (अतलादि सप्त अधोलोक वर्णन) दो०- राहू आदि स्थान का निर्णय कहा सुनाय। चौबीसवें अध्याय में, भाषा करी बनाय || श्री शुकदेव जी बोले-हे राजा परीक्षत ! सूर्य से नीचे दस हजार योजन दूरी पर राहू घूमते है। सूर्य का विस्तार मंडल दस हजार योजन का है, और चन्द्रमा का विस्तार मंडल बारह हजार योजन का है। राहू का विस्तार मंडल तेरह हजार योजन का है। अमावस्या तथा पूर्णिमा को सूर्य या चंद्रमा राहू की गति के सम सूत्र पर आ जाते हैं, जिस कारण राहू की छाँह इन पर जितने समय तक पड़ती है उस समय को गृहण कहते हैं। अर्थात् यों कहिये कि सूर्य या चन्द्रमा के तेज से जब राहू गृह दिखाई देता है तो वह ग्रहण होता है। क्