Shrimad Bhagwad Puran [Skandh 4]

 ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥


ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥

धर्म कथाएं

विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]

श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]

श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६

श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८





श्रीमद भागवत की जो अमृतरूपी कथा है, उसमें प्रारम्भ से अन्त तक श्रीनारायण जी के लीला-चरित्रों का वर्णन है। इसमें भगवान के सम्पूर्ण अवतारों का लीला बद्ध वर्णन है भगवान का बारह अवतार धारण करना सती के देह त्याग की कथा, राजा ध्रुव का वर्णन, खण्ड और सातों समुद्रों का वर्णन, नसिंह अवतार, भक्त प्रहलाद समुद्र मंथन, भगवान कृष्ण, राम आदि अवतारों का लेना तथा उनकी लीलाओं का विशद वर्णन कौरवों पाण्वों द्वारा महाभारत.. कराकर पृथ्वी का भार उतारने का वृनान्त, छप्पन करोड़ यदुवंशियों का दुर्वासा के श्राप द्वारा नाश कराना एवं श्रीहरि के परम परम धाम गमन का हाल हमने तुम्हें सुनाया हैं संसारी मनुष्यों को चाहिए कि वे अपनी जिहा से आठोंग्हर श्रीनारायणजी का नाम लें और ध्यान से उनके लीला चरित्रों को सुने ।

मैं एक धार्मिक परिवार से हूं। बचपन से ही आपनी माता को धर्म ग्रंथ पढ़ते देखा था।
भागवद पुराण भी उन्हीं में से एक है। पढ़ने की इष्छा होती तो पढती भी थी। लेकिन समझ कम ही आता था। वक़्त निकलता गया। मेरी शादी हो गई। ससुराल में कुछ भी ठीक नहीं था। कुछ अच्छा नही लगता था। पुरा दिन रोने में ही जाता था।
फिर जब में प्रेग्नेंट हुई, तब माँ ने मुझे वही भागवद पुराण दे दी। और बोला जब तू होने वाली थी, तेरे नानू ने दी थी मुझे, अब तुझे दे रही हूँ।
मैनें पढ़ना शुरु कर दिया। और इसकी महिमा समझती गई। और अब ये मेरी जिंदगी बन गया है।
इसी लिय इसे web पर डालने का सोचा कि जो भी दुख से पीड़ित है, या कोई भी तकलीफ हो जिन्हें, वोह इसे पढ सके और, सुख प्राप्त कर सकें। अभी भी काम चल रहा है और पता नही कितना वक़्त लगेगा, लेकिन कुछ देर तक ये पूरा पुराण web पर अवश्य होगा। और सब लोग इसका लाभ उठा सकेंगे।।
जय श्री कृष्णा।।
जय श्री हरि।।


दो-मनु कन्याओं से हुआ, जैसे जग विस्तार।
सो पहले अध्याय में वरणों चरित अपार ॥
प्रियव्रत की जनम कथा।।
यज्ञ भगवान और माता लक्ष्मी का वंश वर्णन।।
सप्त ऋषि के नाम।।
कौन है सूत जी? सूत जी का जन्म। 

▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲

क्यू लगते है शिव के भक्त भस्म।। शिवभक्तो को श्राप।।



▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲


▲───────◇◆◇───────▲

▲───────◇◆◇───────▲
▲───────◇◆◇───────▲

(ध्रुव चित्र)
दोहा-हरि भक्त ध्रुव ने करी जिस विधि हृदय लगाय।
सो नोवें अध्याय में दीनी कथा सुनाय ॥


▲───────◇◆◇───────▲

▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवाँ अध्याय [स्कंध ४]
(ध्रुव का राज्य त्याग और तप को जाना)
दोहा-ग्यारहवें अध्याय में ध्रुव ने जतन बनाय।
राज्य दिया निज पुत्र को, वन में पहुँचे जाय ।।


▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भागवद पुराण बारहवां अध्याय[स्कंध ४]
(ध्रुव जी का विष्णु धाम जाना)
दो०-जिमि तप बल ध्रुव ने कियो विष्णु धाम को जाय।
बारहवें अध्याय में कथा कही मन लाय ।।


▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भागवद पुराण * तेरहवां अध्याय * स्कंध[४]
श्रीमद भागवद पुराण  अध्याय १३ स्कंध[४]। राजा पृथू का जनम।।
दो: ध्रुव नृप के वंशज भये,अंग नाम भूपाल।
तेरहवें अध्याय में,कहें उन्ही का हाल।


▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भगवद पुराण चौदहवाँ अध्याय[स्कंध४]
(वेणु का राज्याभिषेक )
दोहा- अंग सुमन जिमि वेनु को, राज्य मिला ज्यों आय।
चौदहवें अध्याय में, दिया वृतांत वताय ।



श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवां अध्याय [स्कंध ४]
(पृथु का जन्म एवं राज्याभिषेक )
दो०-वेणु वन्श हित भुज मथी, मिलि जुलि सब मुनिराज।
पृथु प्रगटित तासों भये, हर्षित भयो समाज।।


▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भागवद पुराण * सोलहवां अध्याय *[स्कंध४]
(पृथु का सूत गण द्वारा सतवन)
दोहा- कीयौ सूत गण ने सभी, पृथु की सुयश बखान। 
सोलहवें अध्याय में, सो सब कियो निदान।। 



▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भागवद पुराण सत्रहवां अध्याय [स्कंध४]
(पृथु का पृथ्वी दोहने का उद्योग)
दोहा-जिमि पृथ्वी दोहन कियो, नृप पृथु ने उद्योग।
सत्रहवें अध्याय में वर्णन किया योग।


▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भागवद पुराण अध्याय २१ [स्कंध४]

(पृथु का अनुशासन वर्णन) 
दोहा-जिमि पृथु हित प्रजा जन, कियी उपदेश महान।
इक्कीसवें अध्याय में, दियौ संपूर्ण बखान।। 

▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भगवद पुराण * बाईसवाँ अध्याय *[स्कंध४]
( सनकादिक का पृथु को उपदेश )
दोहा-सनकादिक उपदेश ज्यों, दौयों पपु को आय।
सो सब वर्णन है कियो, बाईसवें अध्याय ।

▲───────◇◆◇───────▲

▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भागवद पुराण * पच्चीसवां अध्याय *[स्कंध४]
(जीव का विविधि संसार वृतांत)
जिमि विधि होवे संसार यह वृतांत। 
पच्चीसवें अध्याय में वर्णी कथा सुखांत।।

▲───────◇◆◇───────▲

श्रीमद भगवद पुराण छब्बीसवाँ अध्याय [स्कंध४]
(पुर बन के मृगयाञ्चल के स्वरूप और जागरणा वस्था कथन द्वारा संसार वर्णन )
दोहा- स्वप्न अौर जागृत समय सन्मति पावहि त्याग। 
विविधियोनि वर्णन कियो, कथा पूर्ण अनुराग ।।

▲───────◇◆◇───────▲



▲───────◇◆◇───────▲

।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम चतुर्थ स्कंध समाप्तम🥀।।


༺═──────────────═༻_人人人人人人_अध्याय समाप्त_人人人人人人_