- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
धर्म कथाएं
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
नवीन सुख सागर
श्रीमद्भागवद पुराण चौदहवां अध्याय स्कंध ८
(मन्वादि का पृथक पृथक कर्मादि वर्णन)
दो० चौदह में प्रभु आज्ञा लहि मनु कीन्हे कर्म।
सो अब वर्णन उपदेशमय भांति-भांति के मर्म ||
परीक्षत कहने लगे- हे भगवन! इन मन्वन्तरों में मन्वादिक जिस-जिस कर्म में प्रवृत्त हैं, वह सब कथा कहिये । शुकदेव जो बोले- हे राजन् ! मनु और उसके पुत्र ऋषि, इन्द्र और देवता ये सब भगवान के आधीन हैं और भगवान के अवतार से रक्षित हुए मन्त्रादि इस जगत यात्रा को चलाता हैं। चारों युग के अंत में जब वेद, काल के प्रभाव से नष्ट हो जाते हैं, तब ऋषि लोग अपने तपोबल से उनको प्रगट करते हैं। जिससे फिर सनातन धर्म की प्रवृत्ति हो रही हैं।फिर भगवान की आज्ञा से ये मनु अपने अपने काल में चारों पावों से युक्त इस धर्म को प्रवृत्त करते हैं । भगवान की दी हुई त्रिलोकी की सम्पत्ति को इन्द्र भोगता है और यथेच्छ वर्षा करता है। प्रत्येक युग में भगवान सनकादिक सिद्धों का रूप धारण कर ज्ञानोपदेश करते हैं, याज्ञवल्क्यादिक ऋषियों का रूप धारणकर सृष्टि रचते हैं। राजाओं का रूप धारण कर डाकुओं को मारते हैं, पृथक-पृथक शाखादि काल रूप धारण कर सब का संहार करते हैं तथापि वे दर्शन नहीं देते हैं ।
एक महत्वपूर्ण उपकरण थी नारायणी सेना।
हिन्दु एकता में सोशल नेटवर्क भी सहायक।
गर्भ से पिता को टोकने वाले अष्टावक्र ।।अष्टावक्र, महान विद्वान।।
महाकाल के नाम पर कई होटल, उनके संचालक मुस्लिम
क्या थे श्री कृष्ण के उत्तर! जब भीष्मपितामह ने राम और कृष्ण के अवतारों की तुलना की?A must read phrase from MAHABHARATA.
श्री कृष्ण के वस्त्रावतार का रहस्य।।
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