गज और ग्राह की कथा - भाग ३ (सुख सागर कथा)गजेन्द्र का स्वर्ग जाना।।
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
धर्म कथाएं
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
नवीन सुख सागर कथा
श्रीमद्भागवद पुराण चौथा अध्याय स्कंध ८
(गजेन्द्र का स्वर्ग जाना)
दो० अब चतुर्थ में कहयौ ग्राह भयो गंधर्व।
गज हर पार्षद जस भयो सो भाष्यों है सब ||
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क्या थे श्री कृष्ण के उत्तर! जब भीष्मपितामह ने राम और कृष्ण के अवतारों की तुलना की?A must read phrase from MAHABHARATA.
श्री कृष्ण के वस्त्रावतार का रहस्य।।
Most of the hindus are confused about which God to be worshipped. Find answer to your doubts.
हम किसी भी व्यक्ति का नाम विभीषण क्यों नहीं रखते ?
गजराज के पूर्वजन्म की कथा।।
यह गजराज पूर्वजन्म में द्रविड़ प्रान्तस्थ पांडय देश का इन्द्रद्युम्न नाम राजा था और निरन्तर विष्णु भगवान के व्रत में परायण था। सो एक समय यह राजा मलयाचल में आश्रम बनाकर तप कर रहा था। एक दिन वहां शिष्यों को सङ्ग लिये हुए ऋषि अगस्त्य जो अकस्मात् चले आये। राजा का नियम था कि जब तक पूजा करे तब तक बोले नहीं इस नियम से राजा ने अगस्त्यजी को प्रणामादिक कुछ न किया।यह देखकर ऋषि ने क्रोधित होकर राजा को यह शाप दिया--------तू ब्राह्मण की अवज्ञा करता है मुझे आया देखकर भी मत्तगज की तरह बैठा रहा, उठा नहीं इससे तू हाथी होकर अन्धतामित्र में प्रविष्ट हो जावेगा ।
हे राजन् ! इस तरह अगस्त्यजी शाप देकर शिष्यों को साथ ले चले गये और दैववश इन्द्रद्युम्न ने भी आत्मा की स्मृति को नाश करने वाली हाथी की योनी पाई।
सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ।
Why idol worship is criticized? Need to know idol worshipping.
तंत्र--एक कदम और आगे। नाभि से जुड़ा हुआ एक आत्ममुग्ध तांत्रिक।
हे राजन ! कल्याण चाहने वाले जो द्विजादिक प्रातःकाल उठकर इस गजेन्द्र मोक्ष को पाठ करेंगे उनके दुःस्वप्न नष्ट हो जांयगे। सब देवताओं के समान हरि भगवान ने प्रसन्न होकर गजराज से यह कहा था हे भक्तराज ! जो जन मुझको, इस सरोवर को, इस पर्वत की कन्दरा को, बन को, वेतवांस वेणु, गुल्म, कल्पवृक्ष इन पर्वत के शिखरों को, श्वेतद्वीप को प्रिय धाम क्षीर सागर को, श्रीवत्स, कौस्तुभ माला, कामोद की गदा, सुदर्शन चक्र, पाँचजन्य शंख, पक्षिराज गरुड़, लक्ष्मी, ब्रह्मा नारद ऋषि, महादेव, प्रह्लाद, मत्स्य, कर्म, बाराह आदि अवतार, सूर्य, सोम, अग्नि ओंकार सत्य, अव्यक्त, गौ. ब्राम्हण, श्राव्यय, धर्म, दाक्षायणी, धर्मपत्नी कश्यपजी की कन्यायें, गंगा सरस्वती, नन्दा, कालिन्दी नदी, ऐरावत हाथी, ध्रुव सप्तऋषि और नल युधिष्ठिरादि पुण्यलोक मनुष्य आदि इन सबको रात्रि के पिछलेपहर में उठकर यत्न पूर्वक एकाग्रचित्त से स्मरण करेंगे वे सब पापों से छूट जायँगे।भगवान ऋषीकेश यह कहकर अपने शंख को बजाय गरुड़ पर चढ़ देवताओं को प्रसन्न करते हुए निज लोक को चले गये ।
Find out how our Gurukul got closed. How did Gurukul end?
तुम कौन हो? आत्म जागरूकता पर एक कहानी।
सबसे कमजोर बल: गुरुत्वाकर्षण बल।सबसे ताकतवर बल: नाभकीय बल। शिव।। विज्ञान।।
सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा।।
Shree ram ki kavita, kahani (chaand ko hai ram se shikayat)
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