श्रीमद भागवद पुराण -आठवां स्कन्ध प्रारम्भ प्रथम अध्याय ( मन्वन्तर वर्णन ) वर्तमान मन्वंतर।।
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
धर्म कथाएं
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
महाप्रलय के समय वैवस्वत मनु एवं सात ऋषियों की रक्षा करती मत्स्य
मनुओं की संख्या
नाम
चौदह मनुओं के नाम इस प्रकार से हैं:
• स्वयंभुव मनु
• स्वरोचिष मनु
• उत्तम मनु
• तामस मनु या तापस मनु
• रैवत मनु
• चाक्षुषी मनु
• वैवस्वत मनु या श्राद्धदेव मनु (वर्तमान मनु)
• सावर्णि मनु
• दक्ष सावर्णि मनु
• ब्रह्म सावर्णि मनु
• धर्म सावर्णि मनु
• रुद्र सावर्णि मनु
• देव सावर्णि मनु या रौच्य मनु
• इन्द्र सावर्णि मनु या भौत मनु
सन्तानें
कन्याएं
पुत्र
कामायनी के मनु
मनुस्मृति
मुख्य लेख: मनुस्मृति
नरसिंह भगवान का अंतर्ध्यान होना।। मय दानव की कहानी।।
सनातन धर्म तथा सभी वर्ण आश्रमों का नारद मुनि द्वारा सम्पूर्ण वखान।।
महा भक्त प्रह्लाद की कथा।। भाग १
नवीन सुख सागर (श्रीमद भागवद पुराण)
-आठवां स्कन्ध प्रारम्भ।। वर्तमान मन्वंतर।।
* मङ्गला चरण *
छन्द-जय-जय यदुनायक जनः सुखदायक, कंप विनाशन अगहारी।
जयजयनंदनन्दन जग दुःख निकन्दन मेटन भय प्रभु तरतनुधारी || दीनदयाला अमृत कृपाला जगपाला भक्तन हितकारी|
कर शक्ति प्रदाना हे भगवाना पाहि पाहि प्रभु पाहि मुरारी ॥
दोहा- अष्टम में अध्याय हैं, प्रभो बीस अरू चार।
करहु कृपा जो सहज ही, जाहुं कथा के पार ||
* प्रथम अध्याय *
( मन्वन्तर वर्णन )
दोहा- यहि प्रथमो अध्याय में वर्णन हैं मनु चारि।
स्वायंभुव स्वारोचिष उत्तम तामस धारि ||
शुकदेवजी बोले- इस कल्प में स्वायम्भुव से लेकर छः मनु व्यतीत हो गये हैं। इनमें से पहिले मनु का वर्णन तो मैंने तुमको सुना दिया। उसी स्वायम्भुव मनु की आकूती और देवहूति पुत्रियों में धर्म और ज्ञान के उपदेश के लिये भगवान ने उनके घर में यज्ञ तथा कपिल नाम पुत्र रूप धारण किया था।
भगवान कपिलदेवजी का चरित्र हम पहिले वर्णन कर चुके हैं, अब यज्ञ भगवान का चरित्र आपसे वर्णन करेंगे।
"----जो विश्व को चेतना करता हैं और विश्व जिसे चेतन्य नहीं कर सकता, इस विश्व के सोने पर जो जानता है और जिसको यह विश्व नहीं जानता। परन्तु जो चेतन्य स्वरूप इस विश्व को जानता है में उसे प्रणाम करता हूँ।"" यह सम्पूर्ण विश्व ईश्वर से व्याप्त है । इसलिये जो कुछ उसने दिया है उसी को भोगो और अन्य किसी के धन का लालसा मत करो।"
How do I balance between life and bhakti?
मंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं?
यज्ञशाला में जाने के सात वैज्ञानिक लाभ।।
सनातन व सिखी में कोई भेद नहीं।
सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है !
Astonishing and unimaginable facts about Sanatana Dharma (HINDUISM)
सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ।
अब दूसरे मनु को कहते हैं।
परीक्षित बोले-हे बादरायण ! किस प्रकार भगवान ने ग्राह से पकड़े हुए हाथी को छुड़ाया था कृपया वह कथा कहिये ।
तंत्र--एक कदम और आगे। नाभि से जुड़ा हुआ एक आत्ममुग्ध तांत्रिक।
क्या था रावण की नाभि में अमृत का रहस्य? तंत्र- एक विज्ञान।।
आचार्य वात्स्यायन और शरीर विज्ञान।
तांत्रिक यानी शरीर वैज्ञानिक।।
मनुष्य के वर्तमान जन्म के ऊपर पिछले जन्म अथवा जन्मों के प्रभाव का दस्तावेज है।
Find out how our Gurukul got closed. How did Gurukul end?
तुम कौन हो? आत्म जागरूकता पर एक कहानी।
सबसे कमजोर बल: गुरुत्वाकर्षण बल।सबसे ताकतवर बल: नाभकीय बल। शिव।। विज्ञान।।
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