- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
धर्म कथाएं
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
नवीन सुख सागर
श्रीमद भागवद पुराण सत्रहवां अध्याय [स्कंध ८]
(अदिति के गर्भ से भगवान का जन्म )सुख सागर अध्याय 17 स्कंध 8 अदिति के गर्भ से भगवान का जन्म वामन अवतार भाग 1
दोहा-पयोव्रत अदिति कीन्ह जब भये कार्य सब पूर्ण।
सत्रहवें में कथा कही विमल सम्पूर्ण |। १७। |
व्रत भगवान पीताम्बर पहरे चारो भुजाओं में शंखचक्र गदा पदम लिये अदिति के सम्मुख प्रकट हुए ।
उनको देख अदिति साष्टग दण्डवत् करके प्रेम से अत्यन्त विब्हल हो गई और धीरे २ गद् गद् वाणी से प्रीति पूर्वक स्तुति करने लगी।
हे अच्युत, हे शरणगत दुःख विनाशक ! आप दीनानाथ हमारा कल्याण कीजिये।
हे देवमात! मैंने आपकी अभिलाषा जानली है। आपकी यह इच्छा है कि बैरियों ने जो आपके पुत्रों की लक्ष्मी हरली है उनके स्थान भ्रष्ट कर दिये हैं, सो उन दुर्मद असुरों को विजय करके आपके पुत्र फिर अपनी गई हुई श्री को प्राप्त करलें। आप इन्द्रादि अपने पुत्र से शत्रुओं का मरण और उनको स्त्रियों का दुःख से रुदन देखना चाहती हैं।हे देवि ! अभी असुरों का जीतना कठिन है क्योंकि देव और ब्राह्मण उन पर अभी अनुकूल हैं। तथापि मैं कोई न कोई उपाय ढूंढूगा क्योंकि मैं तेरी व्रतचर्या से बहुत प्रसन्न हुआ हूँ। अपने पुत्रों की रक्षा के निमित्त पयोव्रत द्वारा तूने मेरी अर्चना की है इससे मैं तेरा पुत्र बन तेरे पुत्रों की रक्षा करुगां। तुम कल्मष रहित अपने पति कश्यप की सेवा करो वे इस समय मेरा रूप हैं वैसा ही तुम अपने पति को ध्यान करती रहना। इस बात को कोई पूछे तो भी मत कहना क्योंकि देवताओं के गुरुमन्त्र गुप्त रहने से ही सिद्ध होते है |
महा भक्त प्रह्लाद की कथा।। भाग १
हिरण्यकश्यपु का नरसिंह द्वारा विनाश।। महभक्त प्रह्लाद की कथा भाग ४
प्रह्लाद द्वारा भगवान का स्तवन। महाभक्त प्रह्लाद की कथा भाग ५।।
जय विजय के तीन जनम एवं मोक्ष प्राप्ति। श्रीमद भगवद पुराण प्रथम अध्याय-सातवां स्कन्ध प्रारम्भ