शुकदेव जी द्वारा विभिन्न कामनाओं अर्थ देवो का पूजन का ज्ञान।। श्रीमद्भागवद्पूराण महात्मय अध्याय ३ [स्कंध २]
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
- ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
- ॐ विष्णवे नम:
- ॐ हूं विष्णवे नम:
- ॐ आं संकर्षणाय नम:
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
- ॐ नारायणाय नम:
- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
- ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
- ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
- ॐ विष्णवे नम:
- ॐ हूं विष्णवे नम:
- ॐ आं संकर्षणाय नम:
- ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
- ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
- ॐ नारायणाय नम:
- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥
धर्म कथाएं
विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]
श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६
श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७
श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८
* तीसरा अध्याय *स्कंध २
(देव पूजन के अभीष्ट फल लाभ का उपाय वर्णन)
दो० पूजन कर जिन देवकौ, जैसौ ले फल पाय ।
सो द्वतीय अध्याय में, वर्णत है सब गाय ।।
श्री शुकदेव जी परीक्षत राजा से बोले -हे नृपेन्द्र ! जैसा आपने हमसे पूछा वैसा हमने यथावत वर्णन किया है।
मृत्यु को प्राप्त होने वाले बुद्धिमान मनुष्य को हरि भगवान की कीर्ति का श्रवण कीर्तन करना ही अत्यन्त श्रेष्ठ हैं। परन्तु अन्य अनेक कामों के फल प्राप्त करने के लिये अन्य देवताओं का पूजन भी करे।
बृह्मा का पूजन करने से बृह्मतेज की वृद्धि होती है, इन्द्र का पूजन करने से इन्द्रियों को तृष्टता होती है। दक्ष आदि प्रजापतियों का पूजन करने से संतान की बृद्धि होती है । लक्ष्मी की कामना से देवी दुर्गा का पूजन करना चाहिये, और अग्नि देव का पूजन करने से तेज बढ़ता है, यदि धन की कामना हो तो वस्तुओं का पूजन
करे। बलबान मनुष्य वीर्यवृद्धि की इच्छा करते हैैं तो वह ग्यारह रुद्रों
का पूजन करे। अदिति का पूजन करना अन्न आदि भक्ष्य पदार्थों को कल्पना वाले मनुष्य को करना चाहिये।
यदि स्वर्ग प्राप्ती की इच्छा होतो बारह आदित्यों की पूजा करे। विश्वदेवों के पूजन करने से राज्य की कामना पूरी होती है। साध्य नामक देवताओं की पूजा करने से देश देशान्तर की प्रजा यश में होती है। अश्वेनी कुमारों का पूजन आयु बढ़ाने की कामना से करे, यदि पुष्टि की इच्छा हो तो पृथ्वी का पूजन करे । लोको के माता-पिता पृथ्वी स्वर्ग को उपासना करने से प्रतिष्ठा बढ़ती हैं। रूप की इच्छा वालो को गंधर्वों का पूजन चाहिये और स्त्री की कामना के अर्थ उर्विशी अप्सरा का पूजन करना चाहिये।
परमेष्ठिनाम ईश्वर की उपासना करने से सब का स्वामी होता है, यज्ञ भगवान का पूजन करने से यश का भागी होता है, यदि अधिक धन एकत्र करने की कामना हो तो वरुण अथवा कुबेर का पूजन करना चाहिये । विद्या प्राप्ती की कामना वाले को महादेवजी की पूजी उपसना करनी चाहिये और स्त्री-पुरुष की परस्पर प्रीत बढ़ने बाली इच्छा हो तो पार्वती जी की पूजा करे । यदि धर्म की वृद्धि की कामना होतो उत्तम श्लोक से भगवान का पूजन अर्चन करे, संतान वृद्धि इच्छुक को पितरों का पूजन करना चाहिये, मरुदगणों का पूजन करने से बल वृद्धि होती है और रक्षा की चाहना हो तो यज्ञों का पूजन करे। राज्य प्राप्ती की लालसा हो तो मनुष्यों का पूजन करे, निऋति और मृत्यु की पूजा करने से शत्रु का नाश होता है। संभोग की कामना वाले को चंद्रमा का पूजन करना चाहिये। परम पूज्य भगवान की उपसना करने से वैराग्य की कामना पूर्ण होती है।
जिसे किसी की कामना न हो या संपर्ण वस्तुओं की कामना हो तथा मोक्ष की भी इच्छा हो तो ऐसे उदार बुद्धि वाले मनुष्य को परम पुरुष भगवान श्री हरिविष्णु का पूजन करना चाहिये।
इसमें तीब्र भक्ति योग उपाय करे। जिस कथा के श्रवण करने से राग, द्वेष, रहित ज्ञान उत्पन्न हो, तथा मन की प्रसन्नता के कारण संपूर्ण विषयों में वैराग्य हो जाय, और मोक्ष सम्मत मार्ग में भक्ति योग प्राप्त हो तो ऐसा
कौन मनुष्य होगा जो भगवान की कथा में प्रीत न रखे।
शौनक जी ने कहा-हे सूत जी ! राजा परीक्षत ने श्री शुकदेव जी से यह कथा सुनकर अन्य क्या पूछा सो सुनाइये। जहाँ पर श्री शुकदेव जी जैसे महान वक्ता और राजा परीक्षत जैसे श्रोता और उस समाज में श्रीभगवान की पवित्र कथा हो तो वह अनंत फलदायक है।
राजा परीक्षत वाल्यावस्था में बालकों के साथ क्रीड़ा करते समय भगवान श्री कृष्ण की क्रीड़ाओं को किया करते थे। जैसे ही विष्णु रायण व्यास पुत्र शुकदेव जी भी हैं। अतः ऐसे समागम में साधु पुरुषों द्वारा भगवान के उदारचरित्र ही गाये जाते हैं। सूर्य नारायण के द्वारा नित्य उदय अस्त होने पर मनुष्यों की आयु का हरण होता है । अतः जो क्षण भगवान की कथा के रहित व्यतीत होते सो आयु व्यर्थ व्यतीत होती हैं।
हे सूतजी ! आप भगवद्भक्तों में प्रधान हो और हमारे मन के अनुकूल कहते हो इसलिये आत्म विद्या में निपुण श्री शुकदेवजी से राजा परीक्षत ने बहुत प्रशंशनीय प्रश्न किया और जो उन्होंने कहा आप भी वही वर्णन कीजिये।
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।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम तृतीय अध्याय समाप्तम🥀।।
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The events, the calculations, the facts aren't depicted by any living sources. These are completely same as depicted in our granths. So you can easily formulate or access the power of SANATANA.
Jai shree Krishna.🙏ॐ
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श्रीमद भागवद पुराण वेद व्यास जी द्वारा रचित एक मुख्य ग्रंथ है। एक बार सुनने या पढ़ने से किसी भी ग्रंथ का सार अंतकरण में बैठना सम्भव नहीं। किंतु निरंतर कथाओं का सार ग्रहण करने से निश्चय ही कृष्ण भक्ति की प्राप्ति होती है। इसीलिए धर्म ग्रंथों का निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए।
Preserving the most prestigious, सब वेदों का सार, प्रभू विष्णु के भिन्न अवतार...... Shrimad Bhagwad Mahapuran 🕉 For queries mail us at: shrimadbhagwadpuran@gmail.com Suggestions are welcome!
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