अश्वत्थामा का ब्रह्म अस्त्र छोड़ना।परीक्षित राजा के जन्म कर्म और मुक्ति की कथा।।
श्रीमद्भागवद पुराण महात्मय का आठवाँ आध्यय [स्कंध १]
दोहा-कहयो व्यास सों जन्म को नारद जी से हाल।।
सोई षट् अध्याय में वर्णी कथा रासल।।
अश्वत्थामा का बृह्माआस्तृ छोड़ना और श्रीकृष्ण द्वारा पंड़वो की रक्षा
----- हे देवों के देव! मेरी रक्षा करो, रक्षा करो! हे ईश! तप्त लोहे के समान वाण मेरे सन्मुख चला आता है सो हे विभो! वह मुझे बेशक जलावे, परन्तु मेरा गर्भ नहीं गिरे, उसे इससे बचाओ।
नरसिंह भगवान का अंतर्ध्यान होना।। मय दानव की कहानी।।
सनातन धर्म तथा सभी वर्ण आश्रमों का नारद मुनि द्वारा सम्पूर्ण वखान।।
महा भक्त प्रह्लाद की कथा।। भाग १
----- पाण्डवों का वंश नष्ट करने के वास्ते यह अश्वत्थामा का अस्त्र है।
कुन्ती द्वारा कृष्णा स्तुति
फिर सती कुंती द्वारका जाते हुए श्रीकृष्ण भगवान से बोली----
यज्ञशाला में जाने के सात वैज्ञानिक लाभ।।
सनातन व सिखी में कोई भेद नहीं।
सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है !
----- हे श्री कृष्ण ! वासुदेव ! देवकी पुत्र! गोविन्द ! आपको मेरा बारम्बार नमस्कार है। हे ऋषिकेश! दुष्ट कंस से रोकी हुई और पुत्र के शोक से बहुत दुःखी अपनी माता देवकी को जैसे आपने एक बार छुड़ाया उसी प्रकार मुझे पुत्रों सहित बारम्बार विपत्ति से छुड़ाया है। हे प्रभो! मेरी रक्षा करने वाले तुम एक ही नाथ हो । हे हरे! जिस वक्त भीमसेन को विष के मोदक खिला दिये थे, तब भी और लाक्षा भवन के दाह से, हिडिम्ब आदि राक्षसों के भयङ्कर दर्शन से, जूऐ की सभा से, बनवास के कष्ट से, और युद्ध में अनेक योद्धाओं के शस्त्रों से और अश्वत्थामा के शस्त्र से भी हमारी आपने ही बारम्बार रक्षा की है । हे भगवान ! जो तुम्हारे मित्रों को सुनते हैं, गाते हैं अथवा बारम्बार कीर्तन करते हैं, स्मरण करते हैं अथवा सराहते हैं, वही मनुष्य संसार प्रवाह के मिटाने वाले आपके चरण कमल को देखते हैं। अन्य राजा लोगों को दुःख पैदा करके साथ बैर बांधने वाले ऐसे जो हम हैं उन सब सुहृद अनुजीवियों को क्या निस्चय ही अब तुम त्यागना चाहते हो ? हे गदाधर! वज्र अंकुश आदि काव्य लक्षणों वाले आप के चरणों से चिन्हित हुई यह भूमि जैसे अब शोभित न रहेगी,और सुन्दर समृद्धिवाला यह देश उजाड़ सा हो जायगा।
हे श्रीकृष्ण भगवान, हे अर्जुन के सखा, हे यादवों में श्रेष्ठ, हे अचल प्रभाव वाले, गोविन्द, हे गौ- ब्राह्मण, देवताओं का पीड़ा हरने वाले, हे योगेश्वर, हे संपूर्ण जगत के गुरु, हे अवतार धारने वाले भगवान! आपको नमस्कार है।
सूतजी कहते हैं कि कुन्ती ने जब इस प्रकार सुन्दर वचनों से भगवान की सम्पूर्ण महिमा कीर्तन की, तब वे श्री कृष्ण भगवान मन्द मन्द मुस्कान ऐसे करते भये कि मानो इसे अपनी माया करके मोहित करते हों। फिर भगवान बोले कि तमने जो कहा है सो अङ्गीकार है । ऐसे उस कुन्ती को दृढ़ विश्वास देकर, रथके स्थान से हस्तिनापुर में आकर, फिर अन्य सब स्त्रीयों से विदा मांग अपनी द्वारकापुरी में जाने में लगे।
राजा युधिष्ठिर का कृष्णा प्रेम।। श्री कृष्णा का राजा युधिष्ठिर को मोह।।
तब राजा युधिष्ठिर ने प्रेम से तीसरी बार रोक लिये और कहा कि लाला, एक बार बहू ने आपको रोका, दूसरी बार बुआ ने रोका, तो अबकी बार मैं नहीं जाने दूँगा।श्री कृष्ण के वस्त्रावतार का रहस्य।।
Most of the hindus are confused about which God to be worshipped. Find answer to your doubts.
हम किसी भी व्यक्ति का नाम विभीषण क्यों नहीं रखते ?
How do I balance between life and bhakti?
मंदिर सरकारी चंगुल से मुक्त कराने हैं?
यज्ञशाला में जाने के सात वैज्ञानिक लाभ।।
सनातन व सिखी में कोई भेद नहीं।
सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है !
Astonishing and unimaginable facts about Sanatana Dharma (HINDUISM)
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