श्रीमद भागवद पुराण अध्याय १३ स्कंध[४]। राजा पृथू का जनम।।





श्रीमद भागवद पुराण * तेरहवां अध्याय * स्कंध[४]

विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] • श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]      श्रीमद भागवद पुराण * तेरहवां अध्याय * स्कंध[४] (राज अंग का वृतांत) दो: ध्रुव नृप के वंशज भये,अंग नाम भूपाल। तेरहवें अध्याय में,कहें उन्ही का हाल।  श्री शुकदेव जी बोले-हे भारत ! इस प्रकार ध्रुव का देव लोक आदि में होते हुए ध्रुव पद को प्राप्त होने के बाद मैत्रेयजी कहने लगे-हे विदुर! अपने पिता ध्रुव से राज्य पाने के पश्चात उत्कल की धारणा बदल गई थी जिसमें वह पिता के दिये राज्य तथा चक्रवर्तीपन तथा राज्य लक्ष्मी और सिंहासन की इच्छा नहीं करता था। क्योंकि वह आत्मज्ञानी होने के कारण भगवान को अर्थात् परमात्मा को सभी आत्माओं में विद्यमान देखता था अतः राज्य के मंत्रियों आदि ने उसे पागल (उन्मत्त) जान कर राज्य सिंहासन से हटाकर उसके स्थान पर उसके छोटे भाई राम के पुत्र वत्सर को राजा बना दिया। उस वत्सर ने अपनी भार्या स्वर्वीथि में छः पुत्र उत्पन्न किये, जिनके, १-पुष्परण, २ तिग्मकेतु, ३-इषि, ४-ऊर्ज, ५-वसु, ६-जय नाम थे। पुष्परण को दो स्त्रियाँ थीं एक का नाम प्रभा और दूसरी का नाम दोषा था। प्रभा के तीन पुत्र हुये जो प्रातः, मध्यान्ह, सायं, के नाम से विख्यात हुये। तथा दोषा नाम वाली स्त्री से प्रदोष, निशीथ, और व्युष्ट नाम के तीन पुत्र उत्पन्न हुये। व्युष्टि को पुष्करिणा नाम वाली स्त्री हुई जिससे सर्वतेज नाम पुत्र हुआ। सर्वतेज का विवाह आरती नाम वाली स्त्री से हुआ जिससे चक्षुनाम मनु पुत्र उत्पन्न हुआ उस मनु की स्त्री नडबला से बारह पुत्र उत्पन्न हुये, जिनके १-पुरु, २-कुत्स, ३-चित्र, ४-ध न. ५-सत्यवान,६ ऋतु, ७-व्रत, ८-अग्निष्टोम, ९-अतिरात्र,१०-प्रद्युम्न, ११-शिव १२-उरुमुक नाम थे। उल्मुक की स्त्री पुष्करिणी से छः पुत्र उत्पन्न हुये जिनके नाम १-अंग, २-सुमनस, ३-ख्याति, ४-ऋतु, ५-अन्गिरस, ६-गय नाम थे। अंग की सुनीता नाम वाली स्त्री से वेनु नाम का पुत्र हुआ जो अति अत्याचारी हुआ जिसके दुख से दुखी हो अंग राज्य छोड़ बन को चला गया और वेनु को ब्राह्मणो के श्राप के कारण प्राण त्यागने पड़े। तब वेनु के हाथों के मथने से पृथु राजा उत्पन्न हुये। WAY TO MOKSH🙏. Find the truthfulness in you, get the real you, power up yourself with divine blessings, dump all your sins...via... Shrimad Bhagwad Mahapuran🕉

(राज अंग का वृतांत)

दो: ध्रुव नृप के वंशज भये,अंग नाम भूपाल।

तेरहवें अध्याय में,कहें उन्ही का हाल।


श्री शुकदेव जी बोले-हे भारत ! इस प्रकार ध्रुव का देव लोक आदि में होते हुए ध्रुव पद को प्राप्त होने के बाद मैत्रेयजी कहने लगे-हे विदुर! अपने पिता ध्रुव से राज्य पाने के पश्चात उत्कल की धारणा बदल गई थी जिसमें वह पिता के दिये राज्य तथा चक्रवर्तीपन तथा राज्य लक्ष्मी और सिंहासन की इच्छा नहीं करता था। क्योंकि वह आत्मज्ञानी होने के कारण भगवान को अर्थात् परमात्मा को सभी आत्माओं में विद्यमान देखता था अतः राज्य के मंत्रियों आदि ने उसे पागल (उन्मत्त) जान कर राज्य सिंहासन से हटाकर उसके स्थान पर उसके छोटे भाई राम के पुत्र वत्सर को राजा बना दिया। उस वत्सर ने अपनी भार्या स्वर्वीथि में छः पुत्र उत्पन्न किये, जिनके, १-पुष्परण, २ तिग्मकेतु, ३-इषि, ४-ऊर्ज, ५-वसु, ६-जय नाम थे। पुष्परण को दो स्त्रियाँ थीं एक का नाम प्रभा और दूसरी का नाम दोषा था। प्रभा के तीन पुत्र हुये जो प्रातः, मध्यान्ह, सायं, के नाम से विख्यात हुये। तथा दोषा नाम वाली स्त्री से प्रदोष, निशीथ, और व्युष्ट नाम के तीन पुत्र उत्पन्न हुये। व्युष्टि को पुष्करिणा नाम वाली स्त्री हुई जिससे सर्वतेज नाम पुत्र हुआ। सर्वतेज का विवाह आरती नाम वाली स्त्री से हुआ जिससे चक्षुनाम मनु पुत्र उत्पन्न हुआ उस मनु की स्त्री नडबला से बारह पुत्र उत्पन्न हुये, जिनके १-पुरु, २-कुत्स, ३-चित्र, ४-ध न. ५-सत्यवान,६ ऋतु, ७-व्रत, ८-अग्निष्टोम, ९-अतिरात्र,१०-प्रद्युम्न, ११-शिव १२-उरुमुक नाम थे। उल्मुक की स्त्री पुष्करिणी से छः पुत्र उत्पन्न हुये जिनके नाम १-अंग, २-सुमनस, ३-ख्याति, ४-ऋतु, ५-अन्गिरस, ६-गय नाम थे। 


अंग की सुनीता नाम वाली स्त्री से वेनु नाम का पुत्र हुआ जो अति अत्याचारी हुआ जिसके दुख से दुखी हो अंग राज्य छोड़ बन को चला गया और वेनु को ब्राह्मणो के श्राप के कारण प्राण त्यागने पड़े। तब वेनु के हाथों के मथने से पृथु राजा उत्पन्न हुये।

WAY TO MOKSH🙏. Find the truthfulness in you, get the real you, power up yourself with divine blessings, dump all your sins...via... Shrimad Bhagwad Mahapuran🕉

Comments

Popular posts from this blog

सुख सागर अध्याय ३ [स्कंध९] बलराम और माता रेवती का विवाह प्रसंग ( तनय शर्याति का वंशकीर्तन)

जानिए भागवद पुराण में ब्रह्मांड से जुड़े रहस्य जिन्हें, विज्ञान को खोजने में वर्षों लग गये।

चारों आश्रमों के धर्म का वर्णन।।