व्यास मुनि का नारद में सन्तोष होना और भागवत बनाना आरम्भ करना।।

नवीन सुख सागर कथा 

व्यास मुनि का नारद में सन्तोष होना और भागवत बनाना आरम्भ करना

श्रीमद्भागवद पुराण महात्मय का चतुर्थ आध्यय [स्कंध १]

दोहा: जिमि भागवद पुराण को रच्यो व्यास मुनि राब।

 सो चौथे अध्याय में कही कथा समझाया।



धर्म कथाएं

विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण]
श्रीमद भागवद पुराण [introduction]
• श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १]
 श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २]
• श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३]
श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४]

श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५]

श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६

श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७


शौनक जी कहने लगे-हे उत्तम वक्ता ! हे महाभागी जो कि शुकदेव भगवान जी ने कहा है उस पुष्प पवित्र शुभ भागवत की कथा को आप हमारे आगे कहिये।

फिर शुकदेव तो ब्रह्म योगीश्वर, समदृष्टि वाले, निर्विकल्प एकान्त में रहने वाले हस्तिनापुर कैसे चले गये और राजऋषि परीक्षित का इस मुनि के साथ ऐसा सम्वाद कैसे हो गया कि जहाँ यह भागवत पुराण सुनाया गया ?

 

क्योंकि वह शुकदेव मुनि तो गृहस्थीजनों के घर में केवल गौ दोहन मात्र तक यानी जितनी देरी में गौ का दूध निकल जावे इतनी ही देर तक उस गृहस्थाश्रम को पवित्र करने को ठहरते थे।


 हे सूतजी? अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित राजा को उत्तम भक्त कहते हैं । इसलिये परीक्षित जन्म कर्म हमको सुनाइये ।

 

पांडवों के मान को बढ़ाने वाला वह चक्रवर्ती परीक्षित राजा अपने सम्पूर्ण राज्य के ऐश्वर्य को त्याग,मरना ठान कर गङ्गाजी के तट पर किस कारण से बैठा?

 

 सूतजी कहने लगे-हे ऋषीश्वरों! द्वापर युग के तीसरे परिवर्तन के अन्त में पाराशर ऋषि के संयोग से बीसवी सदी में हरि की कला करके व्यासजी उत्पन्न हुए।


 श्रीमद भागवद पुराण चौदहवाँ अध्याय  [स्कंध७]








नरसिंह भगवान का अंतर्ध्यान होना।। मय दानव की कहानी।।



सनातन धर्म तथा सभी वर्ण आश्रमों का नारद मुनि द्वारा सम्पूर्ण वखान।।


महा भक्त प्रह्लाद की कथा।। भाग १





वेदव्यासजी एक समय सरस्वतीनदी के पवित्र जल से स्नानादि करके सूर्योदय के समय एकान्त जगह में अकेले बैठे हुए थे। उस समय पूर्वाऽपर जो जानने वाले वेदव्यास ऋषि ने कलियुग को पृथ्वी पर आया हुआ जानकर और तिस कलियुग के प्रभाव से शरीरादिकों को छोटे देखकर, तथा सब प्राणियों को शक्ति को हीन हुई देखकर और श्रद्धा रहित, धीरज रहित, मन्द बुद्धि वाले, स्वल्प आयु वाले, दरिद्री, ऐसे जीव को दिव्य दृष्टि से देख कर और सम्पूर्ण वर्णाश्रमों के हित को चिन्तवन कर वेद के चार भाग कर डाले। 

ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद ऐसे चार नामों वाले वेदों को बनाया फिर इतिहास पुराण यह पाँचवाँ वेद बनाया। 
तब उनमें वे ऋग्वेद के जाननेवाले पैल ऋषि हुए, जैमिनि पंडित, सामवेद के जानने वाले हुए,.... वैशम्पायन मुनि यजुर्वेद में निपुण हुए, अथर्ववेद को पढ़े हुए उत्तम..... अंगारिस गोत्र के मुनियों में सुमन्त मुनि अत्यन्त निपुण हुए। इतिहास पुराणों को जानने वाले मेरे पिता ......रोमहर्षण हुए।

इसी प्रकार इन सब ऋषियों नेअपने-अपने शिष्यों को इन्हें पढ़ाया। फिर उन शिष्यों ने अन्य शिष्यों को पढ़ाया। ऐसे उन वेदों की शिष्य प्रशिष्य द्वारा अनेक शाखा फैलती गई । 

वेदव्यास जी ने एक वेद के चार वेद इस निमित्त से किये थे कि जिसमें स्वल्प वृद्धि वाले पुरुषों द्वारा भी वेद धारण किये जावें।

तदनन्तर वेदव्यासजी ने विचार किया कि स्त्री, शूद्र और ओछी जात वाले जनों को वेद पढ़ने का अधिकार नहीं है, वेद पठन श्रवणाधिकार के होने से उनसे शुभ कर्म नहीं बन सकेगा। इससे वेदों का सार कोई ऐसा पुराण बनाना चाहिये जिससे श्रवणाधिकार होने से शूद्रादिकों का भी कल्याण हो, ऐसा विचार करके महाभारत अख्यान बताया।

हे ऋषिश्वरो! इस प्रकार सब प्राणियों के हित (कल्याण) करने में वेद व्यासजी सदा प्रवृत्त रहे, परन्तु तो भी उनका चित्त प्रसन्न नहीं हुआ।तब सरस्वती नदी के पवित्र तटपर बैठकर वेदव्यासजी एकान्तमें विचार करने लगे। उसी वक्त बीणा बजाते, हरिगुण गाते नारदमुनि उनके पास सरस्वती के तट पर आ पहुँचे। नारदमुनि को आया हुआ जानकर वेदव्यासजी ने खड़े होकर नारदजी का सत्कार किया और विधि पूर्वक पूजा कर उत्तम आसन दिया।

༺═──────────────═༻


सनातन-संस्कृति में अन्न और दूध की महत्ता पर बहुत बल दिया गया है !


Astonishing and unimaginable facts about Sanatana Dharma (HINDUISM)



सनातन धर्म के आदर्श पर चल कर बच्चों को हृदयवान मनुष्य बनाओ।


Why idol worship is criticized? Need to know idol worshipping.


तंत्र--एक कदम और आगे। नाभि से जुड़ा हुआ एक आत्ममुग्ध तांत्रिक।

क्या था रावण की नाभि में अमृत का रहस्य?  तंत्र- एक विज्ञान।।

जनेऊ का महत्व।।


।।🥀इति श्री पद्यपुराण कथायाम चतुर्थ अध्याय समाप्तम🥀।।

༺═──────────────═༻
༺═──────────────═༻
_人人人人人人_अध्याय समाप्त_人人人人人人_

Comments

Popular posts from this blog

सुख सागर अध्याय ३ [स्कंध९] बलराम और माता रेवती का विवाह प्रसंग ( तनय शर्याति का वंशकीर्तन)

जानिए भागवद पुराण में ब्रह्मांड से जुड़े रहस्य जिन्हें, विज्ञान को खोजने में वर्षों लग गये।

चारों आश्रमों के धर्म का वर्णन।।