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Showing posts from June, 2021

दिति के व्रत का वर्णन। श्रीमद भागवद पुराण उन्नीसवां अध्याय [स्कंध ६] अन्तिम अध्याय।

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विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ नवीन सुख सागर  स्कंध ६ का अंतिम अध्याय श्रीमद भागवद पुराण उन्नीसवां अध्याय [स्कंध ६] (दिति के व्रत का वर्णन ) दो०-उन्नीसवें अध्याय में, व्रत रीति नीति समझाय।  विधिवत वर्णन है कियो, सुने परीक्षित राय॥  राजा परीक्षत ने पूछा-हे मुनि ! कश्यपजी ने दिति से जो व्रत वर्णन किया था सो वह सुनने की मुझे बड़ी इच्छा है। श्री शुकदेवजी बोले-हे राजन! मार्गशीर्ष की शुक्लपक्ष की पड़वा के दिन पति की आज्ञा से स्त्री व्रत का आरम्भ करे। ब्राह्मणों से मरुत देवताओं के जन्म की कथा को सुने। ब्राह्मणों की आज्ञा से दातुन कर स्नान करे स्वच्छ वस्त्र धारण करे आभूषण पहिन कर प्रातः काल भोजन करने के पहिले लक्ष्मी सहित नारायण की पूजा करे पूजन समय प्रार्थना करे कि हे विष्णु पत्नि मुझ पर प्रसन्न हो जाओ मैं तुमको प्रणाम करती हूँ। हे महापुरु

४९ मारूत की उत्पत्ति कैसे हुई तथा देवगण वंश वर्णन॥ श्रीमद भागवद पुराण १८ सकंध ६

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विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [परिचय] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध 1] •   श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध 2] •   श्रीमद भागवद पुराण [स्कंद 3] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] ] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंद ६ ४९ मारूत की उत्पत्ति कैसे हुई तथा देवगण वंश वर्णन॥ श्रीमद भागवद पुराण १८ सकंध ६ नवीन सुख सागर   श्रीमद भागवद पुराण अठारहवाँ अध्याय [स्कंध ६] दो०-देवगण के वंश कौ, हाल कहयौ विस्तार।  अष्टम दस अध्य में दिती गर्भ सौ सर॥॥  (देवगण वंश वर्णन) इन्द्र को ब्रम्ह हत्या लगना।। बृह्मा हत्या का स्वरूप।।श्रीमद भागवद पुराण तेरहवां अध्याय [स्कंध ६] इन्द्र-वृत्तासुर युध्द।। वृत्तासुर वध ।।वृत्तासुर का प्राकरम।। वृत्रासुर का अंत॥ वृत्रासुर का वध कैसे किया असुर वृत्तासुर ने भगवान विष्णु का गुणगान।श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवाँ अध्याय [स्कंध ६] दधीची ऋषि की अस्थियों द्वारा वज्र निर्माण (वृत्तासुर और इन्द्र का युद्ध श्री शुकदेव जी बोले-हे परीक्षित! अदित के पाँचवे पुत्र सविता ने अपनी भार्या पृश्नि में सावित्री, व्याहृति, वेदत्

वृत्रासुर कौन था॥वृत्रासुर कथा भागवत कथा॥

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वृत्रासुर कौन था॥वृत्रासुर कथा भागवत कथा॥ नवीन सुख सागर श्रीमद भगवद महापुराण सत्रहवाँ अध्याय [स्कंध ६] (चित्रकेतु को उमा का श्राप) दा०-कही ब्रतृ ने भक्तिमय, सुन्दर कथा सुनाय।  सो सत्रह अध्याय में, कही सकल समझाय॥ विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ इन्द्र को ब्रम्ह हत्या लगना।। बृह्मा हत्या का स्वरूप।।श्रीमद भागवद पुराण तेरहवां अध्याय [स्कंध ६] इन्द्र-वृत्तासुर युध्द।। वृत्तासुर वध ।।वृत्तासुर का प्राकरम।। वृत्रासुर का अंत॥ वृत्रासुर का वध कैसे किया असुर वृत्तासुर ने भगवान विष्णु का गुणगान।श्रीमद भागवद पुराण ग्यारहवाँ अध्याय [स्कंध ६] दधीची ऋषि की अस्थियों द्वारा वज्र निर्माण (वृत्तासुर और इन्द्र का युद्ध ) श्री शुकदेव जी बोले-हे राजा परीक्षत ! जब शेष भगवान चित्रकेतु को दर्शन देकर अंतर्ध्यान हो गये तो वह भी शेष के साथ अंतर्ध्यान होने वाली

नारद मुनि द्वारा जीवात्मा का सत्य।।

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नारद तथा अंगिरा ऋषि का चित्रकेतु को शोक मुक्त करना।।

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असुर वृत्तासुर का देव भाव को प्राप्त होना।।

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इन्द्र को ब्रम्ह हत्या लगना।। बृह्मा हत्या का स्वरूप।।श्रीमद भागवद पुराण तेरहवां अध्याय [स्कंध ६]

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विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ नवीन सुख सागर  श्रीमद भागवद पुराण तेरहवां अध्याय [स्कंध ६] इन्द्र को ब्रम्ह हत्या लगना।। बृह्मा हत्या का स्वरूप।। दो०- बृम्ह हत्या भई इन्द्र को, छुपौ कही भय खाय। सो सिंगरौ वर्णन कियो, तेरहवें अध्याय ।।  श्री शुकदेव जी बोले-हे राजन् ! इन्द्र ने जब वृत्तासुर को मार डाला तो ब्रम्ह हत्या इन्द्र के पीछे लगी। जिसके कारण इन्द्र को बड़ा संताप सहना पड़ा। साक्षात चान्डाली स्वरूप वाली वृद्धा वस्था के कारण काँपती हुई, क्षय रोग ग्रसित, रुधिर से रंगे वस्त्रों को धारण किये अपने पीछे दौड़ी आती वृम्ह हत्या को इंद्र ने जब देखा, तो वह उससे बचने के लिये भाग कर आकाश और सब दिशाओं में फिर आया परन्तु उससे पीछा छुड़ाने को उसे कहीं भी शरण न मिली । तब वह शीघ्र भागकर मान सरोवर में जाय वहाँ एक कमल की नाल में छिपा रहा। तब तक उस

इन्द्र-वृत्तासुर युध्द।। वृत्तासुर वध ।।वृत्तासुर का प्राकरम।।

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