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गज और ग्राह की कथा - भाग २ (सुख सागर कथा)गजेन्द्र मोक्ष।।

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ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ नवीन सुख सागर कथा श्रीमद भागवद पुराण  तीसरा अध्याय [स्कंध८] (गजेन्द्र मोक्ष)  धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ गज और ग्राह की कथा।। भाग १ (सुख सागर कथा) गज और ग्राह की कथा - भाग ३ (सुख सागर कथा)गजेन्द्र का स्वर्ग जाना।।  गज और ग्राह की कथा, गज और ग्राह की कथा सुनाई ,गज और ग्राह की कथा सुनाइए, गज ग्राह की कथा, गज और ग्राह की कहानी, गज और ग्राह की कहानी सुनाइए, गज और ग्राह की लड़ाई की कथा, गज ग्राह कथा श्री शुकदेव जी बोले-हे राजन् ! इस तरह गजेन्द्र विचार करके पूर्व

गज और ग्राह की कथा।। भाग १ (सुख सागर कथा)

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ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ नवीन सुख सागर श्रीमद भागवद पुराण  दूसरा अध्याय  [स्कंध८] गजेन्द्र का उपाख्यान दोहा- अध्याय में कही कथा गजेन्द्र उचार। तामें प्रथम द्वितीय में जल क्रीड़ा को सार ।।  धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ गज और ग्राह की कथा ,  गज और ग्राह की कथा सुनाई  , गज और ग्राह की कथा सुनाइए ,  गज ग्राह की कथा ,  गज और ग्राह की कहानी ,  गज और ग्राह की कहानी सुनाइए ,  गज और ग्राह की लड़ाई की कथा ,  गज ग्राह कथा श्री नारद मुनि द्वारा मोक्ष लक्षण वर्णन।। श्रीमद भागवद पुराण चौदहवाँ

श्रीमद भागवद पुराण -आठवां स्कन्ध प्रारम्भ प्रथम अध्याय ( मन्वन्तर वर्णन ) वर्तमान मन्वंतर।।

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ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ सनातन धर्म के अनुसार मनु संसार के प्रथम पुरुष थे। मनु का जन्म आज से लगभग 19700 साल पूर्व हुआ था प्रथम मनु का नाम स्वयंभुव मनु था, जिनके संग प्रथम स्त्री थी शतरूपा। ये 'स्वयं भू' (अर्थात स्वयं उत्पन्न ; बिना माता-पिता के उत्पन्न) होने के कारण ही स्वयंभू कहलाये। इन्हीं प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री की सन्तानों से संसार के समस्त जनों की उत्पत्ति हुई। मनु की सन्तान होने के कारण वे मानव या मनुष्य कहलाए। स्वायंभुव मनु को आदि भी कहा ज

श्री नारद मुनि द्वारा मोक्ष लक्षण वर्णन।।

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ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ नवीन सुख सागर कथा  श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवां अध्याय  [स्कंध७] (मोक्ष लक्षण वर्णन) दो०-या पंद्रह अध्याय में, नारद कही सुनाय।  मोक्ष प्राप्त लक्षण सभी, कहे सत्य समझाय ||  धर्म कथाएं विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ किस ब्राह्मण को दान देना उचित है? नारदजी बोले-हे राजन! कोई ब्राह्मण कर्म निष्ठ, कोई तपोनिष्ठ, कोई वेद पढ़ने और पढ़ाने में तथा ज्ञान व योगाभ्यास में निष्ठा रखने वाले होते हैं। तो मोक्ष गुण रखने की इच्छा रखने वाले गृहस्थी को उचित हैं, कि देव पितृ सम्बन्धी कर्मों में ज्ञान