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युग, काल एवं घड़ी, मुहूर्त, आदि की व्याख्या।।

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 श्रीमद भागवद पुराण अध्याय ११ [स्कंध ३] (मनवन्तर आदि के समय का परमाण वर्णन) दोहा-काल प्रमाण परणाम लहि, जा विधि कहयो सुनाय । ग्यारहवें अध्याय में सकल कहयो समझाय।। परिमाणु,अणु, त्रिसरेणु, त्रुटि, वेध, लव, निमेष, क्षण,काष्ठा, लघुता, घड़ी, दण्ड, मुहूर्त,याम, पहर, दिन, पक्ष,अयन, वर्ष, सतयुग, द्वापर, त्रेता, कलयुग, की अवधि एवं व्याख्या। श्री शुकदेवजी ने राजा परीक्षित से कहा  हे परीक्षित! विदुरजी को समझाते हुये श्री मैत्रेयजी ने इस प्रकार कहा--- हे बिदुरजी जिससे सूक्ष्म अन्य कोई वस्तु नहीं है वह परिमाणु कहा जाता है। इसी प्रकार सूक्ष स्थूल रूप से काल का अनुमान किया है। दो परिमाणओं को मिलाकर एक अणु होता हैं । तीन अणुओं के संगृह को एक त्रिसरेणु कहते है। यह त्रिसरेणु वह होता है, जो झरोखे में से आती हुई सूर्य की किरणों के साथ महीन-महीन कण जैसे उड़ते हुये दिखाई पड़ते हैं। इन तीन त्रिसरेणु को एक त्रुटी होती हैं अर्थात् एक चुटकी बजाने के बराबर जानना चाहिये। और त्रुटी का एक वेध होता है, और तीन वेधों के बराबर एक लव होता है, तथा तीन लव का एक निमेष जानना चाहिये,तीन निमेष का एक क्षण कहा जाता है तथा पाँच

सर्ग-विसर्ग द्वारा सृष्टि निर्माण एवं व्याख्या।।

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श्रीमद भागवद पुराण अध्याय १० [स्कंध३] सर्ग की व्याख्या हिन्दू धर्म में सर्ग, उन कोशिकाओं (cell) को कहा गया है, जिन जोड़कर  विश्वा का, प्रजा का, मनुष्यआदि जीवों की उत्त्पत्ति हुई। विभिन्न प्रकार के कोशिकाओं से विभिन्न जीव उत्त्पन हुए। इसी तरह, विभिन्न प्रकृति, विभिन्न बुद्धि, विभीन्न आकृति, और विभिन्न लोकों का भी निर्माण हुआ। आम भाषा में cell को सर्ग कहा गया है। _人人人人人人_अध्याय  आरम्भ_人人人人人人_ सृष्टि की वन्स विधि वर्णन दोहा-सृष्टि रचना जिस तरह, बृह्मा करी बनाय । सो दसवें अध्याय में वर्णी सहित उपाय || श्री  शुकदेवजी बोले हे परीक्षत बिष्णु और वृह्मा का यह प्रसंग कहने के पश्चात मैत्रेय जी ने विदुर जी से इस प्रकार कहा - हे विदुर जी! वृह्मा जी ने फिर दिव्य सौ वर्ष तक मन लगा कर घोर तप किया। भगवत इच्छा से कर्म प्रेरित किये वृम्हा ने उस कमल परस्थित कमल नाल का त्रिलोकी रूप तथा चौदह भुवन रूप और अन्य प्रकार से विभाग किया। प्रथम वृम्हा जी ने काल की रचना की फिर उसी काल को निमित्त कर के परमात्मा को आत्मा को ही लीलामय करके विश्व रूप की रचना की । यह विश्व का नौ प्रकार का सर्ग है, जिसके दो प्रकार हैं प्राक

बृम्हा जी द्वारा भगवान विष्णु का हृदय मर्म स्तवन।।

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  ।। श्री गणेशाय नमः।। -  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय  -  ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।   -  ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।  -  ॐ विष्णवे नम:   - ॐ हूं विष्णवे नम:  - ॐ आं संकर्षणाय नम:  - ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:  - ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:  - ॐ नारायणाय नम:  - ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।  ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ धर्म कथाएं Bhagwad puran विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ९

विधुर निति क्या है? कब कही ग्यी थी विदुर नीति?

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  ।। श्री गणेशाय नमः ।। -  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय  -  ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।   -  ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।  -  ॐ विष्णवे नम:   - ॐ हूं विष्णवे नम:  - ॐ आं संकर्षणाय नम:  - ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:  - ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:  - ॐ नारायणाय नम:  - ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।  ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ धर्म कथाएं Bhagwad puran विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ९

ब्रह्मा की उत्पत्ति। श्री हरि विष्णु द्वारा दर्शन देना।।

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।। श्री गणेशाय नमः।। -  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय  -  ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।   -  ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।  -  ॐ विष्णवे नम:   - ॐ हूं विष्णवे नम:  - ॐ आं संकर्षणाय नम:  - ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:  - ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:  - ॐ नारायणाय नम:  - ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।  ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ धर्म कथाएं Bhagwad puran विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ९ श्

मैत्रैय जी द्वारा विद्वान् विदुर जी को आत्मज्ञान देना।

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-  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय  -  ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।   -  ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।  -  ॐ विष्णवे नम:   - ॐ हूं विष्णवे नम:  - ॐ आं संकर्षणाय नम:  - ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:  - ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:  - ॐ नारायणाय नम:  - ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।  ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ धर्म कथाएं Bhagwad puran विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ९  श्री मद भागवद पुराण अध

विराट अवतार की सृष्टि का वर्णन।।

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  ।। श्री गणेशाय नमः।। -  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय  -  ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।   -  ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।  -  ॐ विष्णवे नम:   - ॐ हूं विष्णवे नम:  - ॐ आं संकर्षणाय नम:  - ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:  - ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:  - ॐ नारायणाय नम:  - ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।  ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥  ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ॥ धर्म कथाएं Bhagwad puran विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ७ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ८ श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ९