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Showing posts from April, 2021

सृष्टि के संचालक श्री सूर्य नारायण।

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  विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ कैसे सूर्य भगवान करते हैं, दिन, घड़ी, समय का निर्माण। सृष्टि के संचालक श्री सूर्य नारायण। सूर्य की परिक्रमा, पूर्ण विस्तारक, राशियों में प्रवेश, खगोल, भूगोल, दिन, रात, इत्यादि।  नवीन सुख सागर श्रीमद भागवद पुराण इक्कीसवां अध्याय [स्कंध ५] राशि संचार द्वारा लोक यात्रा निरूपण दोहा-सूर्य चन्द्र की चाल से, होवे दिन और रात। सो इक्कीस अध्याय विच, लिखी लोक की बात ।। श्री शुकदेवजी बोले-हे राजा परीक्षत! जितना प्रमाण वाहक से पृथ्वी मण्डल का कहा है, उतना ही नभ मण्डल का है।  भूगोल और खगोल के बीच का भाग आकाश है।  जो कि दोनों से मिला हुआ है। इसी के अन्तरिक्ष के बीच में सूर्य नारायण उत्तरायण, दक्षिणायन, विषुवत नाम वाली मन्द, शीघ्र, समान गति से ऊँचे-नीचे चढ़कर त्रिलोकी को तपते हुए समान स्थान पर चलने के लिए नियत समय में मंत्र आदि

Where does the life exists beyond earth?क्या पृथ्वी के बाहर भी जीवन है?

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विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ Where does the life exists beyond earth according to vedas?क्या पृथ्वी के बाहर भी जीवन है?  भागवद पुराण में विभीन्न लोकों की और लोक में रहने वाले विभीन्न प्राणियों का वर्णन॥ पृथ्वी का हिन्दु वर्णन श्रीमद भागवद पुराण बीसवां अध्याय[स्कंध ५] ( लोका लोक पर्वत का वर्णन ) दोहा- कर विभाग सब द्वीप कहि, कथा कही समझाय। सो बीसवें अध्याय में दियो प्रमाण बताय॥ इस भाग में विभीन्न लोक (द्वीप) का पूर्ण विवरण के साथ उनकी नदियों, पर्वतमाला विस्तार का पूर्ण उल्लेख पायेंगे। इससे ये प्रमाण होता है, पृथ्वी के अलावा और भी लोकों में जीवन व्याप्त है। यद्यपि, कोई साक्षात् प्रमाण नही दिया गया। किन्तु, अगर आप वेदों और धर्म ग्रंथो को सत्य मानते हैं। तो प्रमाण की कोई आवश्यकता नहीं रहती। अपनी सामर्थ्य अनुसार मैं इसे सरल भाषा में लिखने

किस जगह, किस रूप में विराजमान हैं, श्री हरि व उनके पूजन के मंत्र।

विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ किस जगह, किस रूप में विराजमान हैं? श्री हरि व उनके पूजन के मंत्र।। श्रीमद भागवद पुराण* अट्ठारहवां अध्याय * [स्कंध ५](वर्ष वर्णन) दोहा: शेष वर्ष वर्णन कियो, सेवक जो कहलाय। अष्टम दस अध्याय में, कीरति कही बनाय।। भद्राश्व खण्ड श्री शुकदेव जी बोले-हे राजा परीक्षत ! उस  भद्राश्व  खंड में  भद्रश्राव  नाम, धर्म का पुत्र उसी खण्ड का स्वामी है। वहाँ पर उसके सेवक जन  भगवान हय ग्रीव की मूर्ति की आराधना मन लगा कर इस मंत्र-ओं नमों भगवते धर्मात्याम विशोधनय नमः।  का जप करते हैं। प्रलय काल में तमोगुण रूप दैत्य जब वेद को चुरा कर ले गया था, तब हयग्रीव रूप अवतार धारण कर भगवान उन वेदों को पाताल से लाये और फिर उन्होंने ब्रह्मा जो को दिये सो हम उन भगवान को बारम्बार नमस्कार करते हैं। वहाँ प्रहलाद जी उस खण्ड के पुरुषों के साथ अनन्य भक

गंगा जी का विस्तरित वर्णन।। भगवाद्पदी- श्री गंगा जी।

विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ५] श्रीमद भागवद पुराण स्कंध ६ गंगा जी का विस्तरित वर्णन।। भगवाद्पदी- श्री गंगा जी। श्रीमद भगवद पुराण *सत्रहवां अध्याय*[स्कंध ५] दोहा: कहयो गंग विस्तार सब, विधि पूर्वक दर्शाय। संकर्षण का स्तबन, कियो रुद्र हर्षाय।। गंगा जी का जनम। शुकदेव जी बोले-परीक्षित! भगवान विष्णु ने राजा बलि को छलने के लिये जब वामन अवतार धारण कर यज्ञ में जाय साढ़ेतीन पग भूमि दान में ली थी, तब अपने स्वरूप को बढ़ाय कर तीनों लोकों को मापने के समय दाहिने चरण से पृथ्वी को बचाया और बाएँ चरण को ऊपर को उठाया तो उस चरण के अंगूठे से ब्रह्मांड का ऊपर का भाग फूट गया। उस छिन्द में से श्री गंगा की धारा ब्रह्माण्ड मार्ग से स्वर्ग पर आकर उतरी।  यह श्री गंगा जी का जन्म भगवान विष्णु चरण कमलों के इसलिये इसका भगवत्पदी नाम हुआ।  यद्यपि यह उस समय पृथ्वी पर नहीं उतरी थी हजार चौकड़ी युग के उपरा

सहज भक्ति क्या है?

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श्रीमद भागवद पूराण सोलहवां अध्याय [स्कंध५]इलावृत खंड

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श्रीमद भागवद पुराण पन्द्रहवां अध्याय [स्कंध५] ॥भरत वंश का वृतान्त॥

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श्रीमद भागवद पुराण चौदहवां अध्याय [स्कंध ५] (जड़ भरत द्वारा रूपक ज्ञान)

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