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पुरंजन का स्त्रीत्व को प्राप्त होना तथा ज्ञानोदय में सुक्ति लाभ

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विषय सूची [श्रीमद भागवद पुराण] श्रीमद भागवद पुराण [introduction] • श्रीमद भागवद पुराण [मंगला चरण] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध १] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध २] •  श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ३] श्रीमद भागवद पुराण [स्कंध ४] https://anchor.fm/shrimad-bhagwad-mahapuran देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः। नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये। जय श्री राम🙏 श्रीमद भागवद पुराण अध्याय २८ [स्कंध ४] ( पुरंजन का स्त्रीत्व को प्राप्त होना तथा ज्ञानोदय में सुक्ति लाभ) दोहा-भये पुरंजन नारि तब, नारि मोह वश आय । सो वर्णित कीनी कथा, अट्ठाईस अध्याय ।। नारदजी बोले हे राजन् ! पीछे हम वर्णन कर चुके हैं कि मृत्यु ने नाग की बहिन बनकर पति पाने को कहा था सो वही मृत्यु नाम की कन्या प्रज्वर की सहायता से पुरंजन की नगरी में प्रवेश कर गई और उसने उसकी नगरी के सब दरवाजों को खोल दिया। तब उन फाटकों के खुलने से वे शत्रु सैनिक नगर में प्रवेश कर गये और प्रजा को अनेक प्रकार की पोड़ा पहुँचाने लगे। जब पुर जन ने अपनो नगरी की प्रजा को पीड़ित देखा तो वह अभिमानी पुरंजन राजा कुटुंब की ममता से व्याकुल ह

श्रीमद भागवद पुराण* २७ अध्याय [स्कंध४] (पुरंजन का आत्म विस्मरण)

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श्रीमद भगवद पुराण २६अध्याय [स्कंध४] (पुर बन के मृगयाञ्चल के स्वरूप और जागरणा वस्था कथन द्वारा संसार वर्णन )

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